सैंयाँ! झूठों को सरताज।
मोहे छोड़ गयो किस कारण, पूछत लोग, समाज।।
सैंयाँ! झूठों को -----
रोटी, कपड़ा, गैस, तेल सँग, मँहगो आलू, प्याज।
कर्ज दियो जिनको नहीं सांई, माँगत वो से ब्याज??
सैंयाँ! झूठों को -----
ऐसन काज कियो लोगन के, छूटो खेती, काज।
नोचो यूँ सोने की चिड़ियाँ, लागो निर्मम बाज।।
सैंयाँ! झूठों को ----
लोग सुमन तोहैं पहनायो, ई शासन को ताज।
शासक, अधिनायक बनिहें तो, करिहैं लोग इलाज।।
सैंयाँ! झूठों को -----
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