कह के आए है बचाना, अपने हिन्दुस्तान को
अब तुले वो बेचने पर, खेत और खलिहान को
लोग शासन की खिलाफत, करते हैं जनतंत्र में
झट उसे गद्दार कहते, जाओ पाकिस्तान को
टुकड़े - टुकड़े खुद करे पर, नाम लेते और का
प्रश्न वाजिब पूछते ही, वो खड़े अपमान को
जो हमारे अन्नदाता, मर रहे बे - मौत अब
भूल लोगों से हुई जो, चुन लिया बेईमान को
देश की सीमा पे खतरा, नित खड़ा जो कर रहा
हँस के झूला वो झुलाते, कातिल-ए-मेहमान को
खुद से घोषित राष्ट्रवादी, राष्ट्र से पर बैर है
है विदाई का समय अब, ये कहो सुल्तान को
बाँध के सर पे कफ़न अब, चल सुमन के साथ में
मिल के हमको है बचाना, देश के सम्मान को
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