Sunday, December 13, 2020

फिर पब्लिक से पंगा क्यों?

जनता ही चुनती है शासक, 
फिर पब्लिक से पंगा क्यूँ?
जाना है फिर बन के याचक, 
फिर पब्लिक से पंगा क्यूँ?

          काम धाम को छोड़, सड़क पर,
          बेबस लोग उतरते जब
          शासक नहीं सुने तो घातक, 
          फिर पब्लिक से पंगा क्यूँ?

अहंकार में जो भी डूबा, 
शासन उसका अंत हुआ
लिखा हुआ इतिहास में झकझक, 
फिर पब्लिक से पंगा क्यूँ?

          प्रजा बनाना चाहे शासन, 
          बोध-नागरिक जगने पर
          जनमत का तू बनो उपासक,
          फिर पब्लिक से पंगा क्यूँ?

रावण, कंस बहुत ताकतवर, 
उसका हाल सभी जाने
केवल राजा नहीं है शावक, 
फिर पब्लिक से पंगा क्यूँ?

          लोक भावना के आगे तो, 
          हर शासन झुकता प्यारे
          समाधान जब कुशल हो वाचक, 
          फिर पब्लिक से पंगा क्यूँ?

अभी समय है सुनो सुमन की, 
बन के स्वाति बूँद गिरो
लोग-बाग बन के हैं चातक, 
फिर पब्लिक से पंगा क्यूँ?

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