Tuesday, March 12, 2024

दिन में सौ सौ बार

हम   आँखों   से  देखते,  जग  के  कारोबार।
मगर  देखता  जग  हमें, दिन  में  सौ सौ बार।।

बंजर  दिल  में  तब  खुशी, होती  है  आबाद।
अगर  अचानक  हो  कहीं, आँखों से सम्वाद।।

खेल  रहीं  रुखसार  पे,  लटें  अदा ले खास।
ऑंखें गहरी झील सी , काजल बिना उदास।।

जीवन  भर  हम  देखते, जीवन के नव-रूप।
दूर  छाँव  से  जिन्दगी,  अपने   हिस्से   धूप।। 

प्रेम  परस्पर  दान  है,  इसमें  क्या  अहसान?
आँखों  के  अहसास  में, रिश्तों  का  विज्ञान।।

दूभर  हो  रोटी  जहाँ,  वहाँ   सिखाते   योग।
पानी  आँखों  में  नहीं,  कौन  करे  सहयोग??

जाँच परखकर ही रखो, दुखती  रग पे हाथ।
शेष आँख में लाज तो, चलो सुमन के साथ।।

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