अपना चेहरा छुपाने से क्या फायदा?
भूल अपनी अगर दिल पसीजा नहीं,
फिर ये गंगा नहाने से क्या फायदा?
आपसी प्यार है तो ये दुनिया बसी,
प्यार समझा नहीं इस पे आती हँसी।
प्यार की सोच वो तो समन्दर-सा है,
बेवजह डूब जाने से क्या फायदा?
हम विरोधों से लड़-लड़ के आगे बढ़े,
अपनी क्षमता से आगे शिखर पे चढ़े।
करें आलोचना वो असल दोस्त हैं,
उसे दुश्मन बनाने से क्या फायदा?
अपने बच्चे को तालीम देते सभी,
उसने सीखा है क्या जाँचते हैं कभी।
अगर इन्सानियत उसने सीखा नहीं,
ऐसी शिक्षा दिलाने से क्या फायदा?
हर कदम है परीक्षा सुमन जिन्दगी,
लोग बेहतर बनें हम करें बन्दगी।
अपनी जो भी बुराई वो देखें सभी,
व्यर्थ ऊँगली उठाने से क्या फायदा?
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 5 मार्च 2025 को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
बेहद शुक्रिया तृप्ति जी। कृपया वो लिंक भेजें जहाँ पर जाकर अपनी टिप्पणी दे सकूँ।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद भाई
Deleteधन्यवाद भाई
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