रूप तेरे हजार, तू सृजन की आधार।
माँ की ममता है तुझमें, बहन का भी प्यार।।
बन के शक्ति - स्वरूपा, किया है जो काम।
फिर भी अबला जगत ने, दिया तुझको नाम।
तेरी करूणा अपार, तू है सबला साकार।
चेतना भी हृदय की, हो प्रियतम - श्रृंगार।।
रूप तेरे हजार, तू सृजन का आधार।
माँ की ममता है तुझमें, बहन का भी प्यार।।
कभी नाजों पली, बेवजह भी जली।
तू कदम से कदम तो, मिलाकर चली।
रूक कर तू विचार, न हो जीवन बाजार।
चंद सिक्कों की खातिर, न तन को उघार।।
रूप तेरे हजार, तू सृजन का आधार।
माँ की ममता है तुझमें, बहन का भी प्यार।।
त्याग-शांति की मूरत हो, धीरज की खान।
करे सम्मान नारी का, वो है महान।
नित कर तू सुधार, नहीं बनो लाचार।
बढे बगिया की खुशबू, सुमन का निखार।।
रूप तेरे हजार, तू सृजन का आधार।
माँ की ममता है तुझमें, बहन का भी प्यार।।
माँ की ममता है तुझमें, बहन का भी प्यार।।
बन के शक्ति - स्वरूपा, किया है जो काम।
फिर भी अबला जगत ने, दिया तुझको नाम।
तेरी करूणा अपार, तू है सबला साकार।
चेतना भी हृदय की, हो प्रियतम - श्रृंगार।।
रूप तेरे हजार, तू सृजन का आधार।
माँ की ममता है तुझमें, बहन का भी प्यार।।
कभी नाजों पली, बेवजह भी जली।
तू कदम से कदम तो, मिलाकर चली।
रूक कर तू विचार, न हो जीवन बाजार।
चंद सिक्कों की खातिर, न तन को उघार।।
रूप तेरे हजार, तू सृजन का आधार।
माँ की ममता है तुझमें, बहन का भी प्यार।।
त्याग-शांति की मूरत हो, धीरज की खान।
करे सम्मान नारी का, वो है महान।
नित कर तू सुधार, नहीं बनो लाचार।
बढे बगिया की खुशबू, सुमन का निखार।।
रूप तेरे हजार, तू सृजन का आधार।
माँ की ममता है तुझमें, बहन का भी प्यार।।
24 comments:
बन के शक्ति - स्वरूपा, किया है जो काम।
फिर भी अबला जगत ने, दिया तुझको नाम।
अतिसुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई
waah shyaamal jee...kamaal ke shabdon kaa chayan aur upyog kiyaa hai aapne...rachnaa bahut hee sundar ban padi hai...nari jagat ko samarpit....badhai sweekar karein....
त्याग-शांति की मूरत हो, धीरज की खान।
करे सम्मान नारी का, वो है महान।
बहुत नायाब रचना.
रामराम.
नारी तू नारायणी.......
नारी तू कल्याणी.......
नारी तू अन्नपूर्णा......
नारी तू शक्तिस्वरूपा....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
वह नारी के कितने रूप.......प्रेम, त्याग, शक्ति प्रेमिका और भी न जाने कितने रूप ....बहूत ही लाजवाब पोस्ट ..........
nari ke har swaroop ko bahut hi sundar shabdon mein bandha hai.......lajawaab.
satya ko jitni baar kahen,ek nayi jagriti hoti hai,nay aahwaan .........
त्याग-शांति की मूरत हो, धीरज की खान।
करे सम्मान नारी का, वो है महान।
बहुत ही सुंदर....
सच मै नारी है महान
नारी पर बहुत सुन्दर लिखा आपने..उम्दा प्रस्तुति के लिए साधुवाद !!
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विश्व पर्यावरण दिवस(५ जून) पर "शब्द-सृजन की ओर" पर मेरी कविता "ई- पार्क" का आनंद उठायें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ !!
suman ji , lekhan men vividhta ka aapka ek roop ye bhi.
bahut achchi lagi yah rachna. badhaai.
भावपूर्ण अतिसुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत आभार.......
shyaamal jee kisi ek pankati me hee naheen har shbad me eksundar bhaav hai laajavaab abhivyakti hai aabhaar
भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कभी नाजों पली, बेवजह भी जली।
तू कदम से कदम तो, मिलाकर चली।
Naari par itni sunder rachna ke liye aabhaar
जीवन भर लिखता रहूँ अगर मिले यह प्यार।
ताकत मिलती है मुझे बहुत बहुत आभार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
vandniiy vichar
har nari ko bhi chahiye apne is roop ko banaye rakhe ..shakshi jaisi kalikh laga ke nari ke roop ko ganda hone se bachaye.
नारी के अनेक रूपों का सटीक चित्रण।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
कभी नाजों पली, बेवजह भी जली।
तू कदम से कदम तो, मिलाकर चली।
waah shyamal sir bahut hi sunder rachna hai ...
bahut hi khubsurat rachna....nari ke har roop ko bakhubi ujagar kiya hai aapne...
sir namaskar .....mere blog par ane aur tippani ke liye dhanyawad....apka blog padha ....shandar ..badhai ..n regards
Bahut kub ...rachnaa bahut hi sunder hai
नित कर तू सुधार, नहीं बनो लाचार।
बढे बगिया की खुशबू, सुमन का निखार।।
ati sundar vichar
नारी के विभिन्न रूप को लेकर आपने बहुत ही सुंदर रचना लिखा है! आपकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है!
बेहद प्रभाव साली रचना बहुत अच्छी रचना .....
आप मेरे भी ब्लॉग का अनुसरण करे
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
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