जाल मछुए ने, फेंका सलीके से अब
मछलियाँ फँस न जाएँ, कहीं सबके सब
कोशिशें, आशियां चाँद पर भी बने
हमको डर, चाँदनी कैद हो जाये कब
रू-ब-रू बात करने से, घबराते वो
होशवाले की मैयत हो, मुस्काते तब
बात बातों से बन जाए, तो बात है
बात बिगड़े, नहीं बात सुनते वे जब
बिक रहीं, आज कलियाँ ही बाजार में
होगा फिर क्या, सुमन का बता मेरे रब
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रचना में विस्तार
साहित्यिक बाजार में, अलग अलग हैं संत। जिनको आता कुछ नहीं, बनते अभी महंत।। साहित्यिक मैदान म...
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अन्ध-भक्ति है रोग
छुआछूत से कब हुआ, देश अपन ये मुक्त? जाति - भेद पहले बहुत, अब VIP युक्त।। धर्म सदा कर्तव्य ह...
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गन्दा फिर तालाब
क्या लेखन व्यापार है, भला रहे क्यों चीख? रोग छपासी इस कदर, गिरकर माँगे भीख।। झट से झु...
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मगर बेचना मत खुद्दारी
यूँ तो सबको है दुश्वारी एक तरफ मगर बेचना मत खुद्दारी एक तरफ जाति - धरम में बाँट रहे जो लोगों को वो करते सचमुच गद्दारी एक तरफ अक्सर लो...
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लेकिन बात कहाँ कम करते
मैं - मैं पहले अब हम करते लेकिन बात कहाँ कम करते गंगा - गंगा पहले अब तो गंगा, यमुना, जमजम करते विफल परीक्षा या दुर्घटना किसने देखा वो...
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विश्व की महान कलाकृतियाँ-
24 comments:
बात बातों से बन जाए, तो बात है।
बात बिगड़े, नहीं बात सुनते वे जब।।
लाजवाब...श्यामल जी...बहुत अच्छी रचना...बधाई...
नीरज
बिक रही है कलियां......
बहुत ही सुंदर रचना कही आप ने .
धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
बात बातों से बन जाए, तो बात है ।
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
कोशिशें, आशियां चाँद पर भी बने।..........
बहुत खुब .............बहुत ही बढिया लिखा है आपने .....बधाई
ab to shabd bache bhi nahi aapki tareef ke liye..ye shabd bhi aapki lekhani ke aage chote padh rahe hai
Lajawaab ......Waah !!
सारे ही काफिये,गीत में भर दिए।
कुछ भी कहने को खुलते नही मेरे लब।।
सुन्दर गज़ल।
बधाई।
बहुत लाजवाब कहा जी आपने.
darna kya,es kalyugi sansar me,
hoga wahi, jo manjur kare rab....
बात बातों से बन जाए, तो बात है।
बात बिगड़े, नहीं बात सुनते वे जब।।
bahut sundar kaha aapne,
bahut bahut badhai !!
श्यामल सुमन जी वैसे तो इसका कोई स्थाई समाधान है ही नहीं। फिर भी अगर इंतजार किया जाए तो जल्द ही हमारे सामने इसके परिणाम होंगे। आप जानते हैं कि आज युद्ध का कोई मतलब नहीं है। और सुमन जी मैंने इसका समाधान नहीं दिया था। मैंने तो एक खेल की कमेंटरी मा_त्र ही की थी। अगर आप इसका कोई समाधान देना चाहते हैं तो आमंत्रित हैं। -दुनाली वाला आमीन
are vah ,bdhiya rchna hai.bdhai.
कोशिशें, आशियां चाँद पर भी बने।
हमको डर, चाँदनी कैद हो जाए कब।।
बहुत सुन्दर....
श्यामलजी सुमन
बिक रहीं, आज कलियाँ हीं बाजार में।
होगा फिर क्या, सुमन का बता मेरे रब।।
लाजवाब...बहुत ही सुंदर, बढिया
बहुत खूब्।
आप सबके प्रति विनम्र आभार निवेदित है।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
बढ़िया रचना है.
बात बातों से बन जाए, तो बात है ।
बहुत खुब ...बहुत ही सुन्दर रचना...बधाई !!
_______________________________
अपने प्रिय "समोसा" के 1000 साल पूरे होने पर मेरी पोस्ट का भी आनंद "शब्द सृजन की ओर " पर उठायें.
बात बातों से बन जाए, तो बात है।
बात बिगड़े, नहीं बात सुनते वे जब।
सुमन जी.......... बहुत खूब लिखा है.......... सजीव दर्शन
श्यामल जी ,आपके कमेंट्स प्रेरणा का काम करते हैं ,देते रहें धन्यवाद |
कोशिशें आशियाँ चाँद पर भी बने ,
हमको डर चांदनी कैद हो जाए कब |
जब चांदनी को कैद कर लेंगे ,तो शायद इतनी बेबाकी से लिख नहीं पायेंगे ,
बहुत सुन्दर रचना ,बधाई |
bahut achchha laga aapki ye rachana padh kar.behad prabavshali pantiyan hain ye
बात बातों से बन जाए, तो बात है।
बात बिगड़े, नहीं बात सुनते वे जब।।
उत्तम....अनुपम....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
वाह! क्या ग़अज़ल कह डाली आपने...! शुक्रिया।
बात बातों से बन जाए, तो बात है।
बात बिगड़े, नहीं बात सुनते वे जब।।
बहुत लाजवाब कहा आपने...
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