भारत है वीरों की धरती, अगणित हुए नरेश।
मीरा, तुलसी, सूर, कबीरा, योगी और दरवेश।
एक हमारी राष्ट्र की भाषा, एक रहेगा देश।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
सोच की धरती भले अलग हों, राष्ट्र की धारा एक।
जैसे गंगा में मिल नदियाँ, हो जातीं हैं नेक।
रीति-नीति का भेद मिटाना, नूतन हो परिवेश।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
शासन का मन्दिर संसद है, लगता अब लाचार।
कुछ जनहित पर भाषण दे कर, करते हैं व्यापार।
रंगे सियारों को पहचाने, बदला जिसने वेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
वीर शहीदों के भारत का, सपने आज उदास।
कर्ज चुकाना है धरती का, मिल सब करें प्रयास।
घर-घर सुमन खिले खुशियों की, कहना नहीं बिशेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
मीरा, तुलसी, सूर, कबीरा, योगी और दरवेश।
एक हमारी राष्ट्र की भाषा, एक रहेगा देश।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
सोच की धरती भले अलग हों, राष्ट्र की धारा एक।
जैसे गंगा में मिल नदियाँ, हो जातीं हैं नेक।
रीति-नीति का भेद मिटाना, नूतन हो परिवेश।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
शासन का मन्दिर संसद है, लगता अब लाचार।
कुछ जनहित पर भाषण दे कर, करते हैं व्यापार।
रंगे सियारों को पहचाने, बदला जिसने वेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
वीर शहीदों के भारत का, सपने आज उदास।
कर्ज चुकाना है धरती का, मिल सब करें प्रयास।
घर-घर सुमन खिले खुशियों की, कहना नहीं बिशेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
21 comments:
कर्ज चुकाना है धरती का, मिल सब करें प्रयास।
bahut achchha sandesh. sandesh jan-jan tak pahuche yahi kamna hai
आप ने बहुत ही अच्छॆ ढंग से सच लिखा....
शासन का मन्दिर संसद है, क्यों बिल्कुल लाचार।
ख़ुद का हित करते, पर दिखते, जनहित को तैयार।
रंगे सियारों को चुनना है, बदला जिसने वेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
बहुत सुंदर संदेश है.
धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
sunder rachana.
भाई, बहुत सुन्दर विचार.
bahut hi accha likha hai aapne.....
सुमन जी, आपने बहुत अच्छा सन्देश दिया है इस गेय कविता के माध्यम से। साधुवाद।
wah suman ji,
ख़ुद का हित करते, पर दिखते, जनहित को तैयार।
रंगे सियारों को चुनना है, बदला जिसने वेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
behatareen geet hai , badhai sweekaren.
... बहुत सुन्दर, अत्यंत प्रभावशाली रचना !!!
bahut hi sundar bhawabhiwyakti jisaka koi jabaab nahi hai ..........rastraprem se labrez baate behisab
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत है।बहुत अच्छा लगा।आभार।
सुन्दर.
बहुत बधाई. अत्यंत प्रभावी रचना.
रामराम.
शासन का मन्दिर संसद है, क्यों बिल्कुल लाचार।
ख़ुद का हित करते, पर दिखते, जनहित को तैयार।
रंगे सियारों को चुनना है, बदला जिसने वेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
सुन्दर, सपाट और तीखी अभिव्यक्ति. सन्देश घर-घर पहुँच कर ही रहेगा. पर शायद इक्कीसवी शताब्दी में यह कार्य काग नहीं बल्कि इंटरनेट कर रहा है
इंटरनेट! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
चन्द्र मोहन गुप्त
बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति....सुन्दर रचना ...बधाई !!
कभी मेरे ब्लॉग पर भी पधारें !!
आपकी अद्भुत सृजनशीलता का कायल हूँ....वाकई आपकी रचना तमाम रंग बिखेरती है...साधुवाद.***
"यदुकुल" पर आपका स्वागत है....
वीर शहीदों के भारत का, सपने आज उदास।
कर्ज चुकाना है धरती का, मिल सब करें प्रयास।
घर-घर सुमन खिले खुशियों की, कहना नहीं बिशेष।
कागा! ले जा यह संदेश, घर-घर दे जा यह संदेश।।
please...
please...
save india ...
...coz we don't have any option....
you see!
आप सबके स्नेह और समर्थन के प्रति आदर सहित आभार निवेदित है। स्नेह बनाये रखें।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
वाह सुमन जी वाह.... सुंदर कविता..
sundar geet aur uske bhaav man ko pighla gaye....waah !!!
बहुत सुन्दर भाव पूर्ण गीत है...
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