Sunday, July 12, 2009

नजर

नजर मिली क्या तिरी नजर से
गयी न सूरत कभी नजर से

नजर किसी की लगे न तुमको
खुदा बचाये बुरी नजर से

नजर की बातें नजर ही जाने
सुनी है बातें कभी नजर से

नजर उठाना नजर झुकाना
वो कनखियाँ भी दिखी नजर से

वो तेरा जाना नजर चुरा के
नजर न आई कहीं नजर से

नजर मिला के हो सारी बातें
नयी चमक फिर उठी नजर से

नजर दिखा के किया है घायल
और मुस्कुराना नयी नजर से

नजर न आना बहुत दिनों तक
छलक पड़े कुछ इसी नजर से

भला करे क्यों नजर को टेढ़ी
कभी न गिरना किसी नजर से

नजर पे चढ़ के सुमन करे क्या
नजर है रचना खुली नजर से

28 comments:

निर्मला कपिला said...

नजर न आना बहुत दिनों तक
छलक पड़े कुछ इसी नजर से
बहुत खूब एक नज़र के हज़ार रंग् सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई

समयचक्र said...

बहुत बढ़िया अभिव्यक्तिपूर्ण रचना शुक्रिया.

Urmi said...

बहुत लाजवाब रचना! मन की भावना को आपने बड़े ही सुंदर रूप से व्यक्त किया है! लिखते रहिये !

विनोद कुमार पांडेय said...

aapki nazar jab mere nazar me aayi to dil me ghar kar gayi..

adbhut rcahna...nazar
badhayi!!!

Anonymous said...

बात नज़र की जब यूं चली है,
मेरी नज़र भी कुछ कह रही है,
नज़र में रहे गर मेरी नज़र की,
नज़र मेरी धन्य हो रही है....

साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......

नीरज गोस्वामी said...

रचना की नज़र उतारने को जी करता है...बेहतरीन
नीरज

आनन्द वर्धन ओझा said...

नज़रों के पेंचो-ख़म में कभी पड़ा नहीं, लेकिन नज़रों के ऊपर आपका अनुसंधान अप्रतिम है, वह भी काव्य भाषा में; वल्लाह ! क्या बात है. बधाई है ! लिखते रहें; मेरी शुभकामनाएं !! आ.

राज भाटिय़ा said...

नजर मिली क्या तेरी नजर से
तेरी छवि न गयी नजर से
वाह सच कहते हो भाई, यह नजर बडी कमबखत है जी.
बहुत ही सुंदर ढंग से आप ने नजर मिलाई.
धन्यवाद

vandana gupta said...

nazar ke nazare dil ko choo gaye.

Razi Shahab said...

बहुत लाजवाब रचना! मन की भावना को आपने बड़े ही सुंदर रूप से व्यक्त किया है! लिखते रहिये !

Vinay said...

अत्यन्त सुन्दर

---
प्रेम अंधा होता है - वैज्ञानिक शोध

रंजना said...

वाह ! वाह ! वाह ! आपके इस काव्यात्मक नजराने ने तो सचमुच दिल और नजर को ही बाँध लिया........लाजवाब रचना !!!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

भला करे क्यों नजर को टेढ़ी
कभी न गिरना सभी नजर से

नजर पे चढ़ के सुमन करे क्या
नजर है रचना खुली नजर से

कमाल के शेर हैं,
सब एक से बढ़कर एक है।
बधाई।

mehek said...

नजर उठाना नजर झुकाना
वो कनखियाँ भी दिखीं नजर से

वो तेरा जाना नजर चुरा के
नजर न आई कहीं नजर से
waah kya baat hai sunder.

ओम आर्य said...

baut hi sundar.....sb najaro ka khel hai.......atisundar

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ....... नज़र se नज़र के NAZAARE..... Lajawaab

admin said...

नजर ही नजर नजर आ रही है।

M VERMA said...

nazar ko nazar se nazar n lag jaye.
bahut sunder nazar ka nazarana likha hai aapne.
vah

श्यामल सुमन said...

नजर किया जो प्यार सभी ने
नमन सुमन का सही नजर से

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

शेफाली पाण्डे said...

इसे बुरी नज़रों से बचाइए
ऐसे ही शानदार लिखते जाइये

shama said...

Nazar ko istarah tikaye rakha ki, hatee nahee..!

http://shamasansmaran.blogspot.com

http://lalitlekh.blogspot.com

http://kavitasbyshama.blogspot.com

http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com

http://shama-kahanee.blogspot.com

Prem Farukhabadi said...

नजर पे चढ़ के सुमन करे क्या
नजर है रचना खुली नजर से

bahut hi sundar!!!

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

नजरो की इन बातो पर मैं नजरो का क्या नजराना दूँ
सोचा है नजरो जैसा ही दूँ या फिर नजरो का ही पैमाना दूँ
मेरा प्रणाम स्वीकार करे
सादर प्रवीण पथिक
9971969084

प्रशांत गुप्ता said...

नजर मिली क्या तेरी नजर से
तेरी छवि न गयी नजर से

नजर लगे न तुम्हें किसी की
नजर उतारूँ उसी नजर से
सुमन जी , आप की नजर ने तो टिपण्णी को भी नजर लगा दी , बेहद सुंदर

yashoda Agrawal said...

शनिवार 04/08/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. आपके सुझावों का स्वागत है . धन्यवाद!

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब सर!


सादर

Dr. sandhya tiwari said...

नजर मिली क्या तेरी नजर से
तेरी छवि न गयी नजर से


बहुत खूब ....... नज़र

Anonymous said...

नजर मिली क्या तेरी नजर से
तेरी छवि न गयी नजर से
बारादरी चलचित्र की पंक्ति
मुश्किल है तेरा लौट के जाना मेरे घर
तस्वीर बनायी है तेरी खूने जिगर से

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विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!