बाहर बारिश अन्दर आग
अभी शेष भीतर अनुराग
परदेशी बालम आयेंगे
बोल गया है छत पर काग
सब रिश्तों के मोल अलग हैं
नारी माँगे अमर सुहाग
भाव इतर और शब्द इतर हैं
रंग मिलेगा गाकर राग
खोने का संकेत है सोना
सोना पाने, उठकर जाग
उदर भरण ही लक्ष्य जहाँ हो
मची वहाँ पर भागमभाग
इक दूजे का हक जो छीना
लेना अपना लड़कर भाग
घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग
देखो नजर बदल के दुनिया
लगता कितना सुन्दर बाग
सुमन खिले हैं सबकी खातिर
लूट रहा क्यों भ्रमर पराग
अभी शेष भीतर अनुराग
परदेशी बालम आयेंगे
बोल गया है छत पर काग
सब रिश्तों के मोल अलग हैं
नारी माँगे अमर सुहाग
भाव इतर और शब्द इतर हैं
रंग मिलेगा गाकर राग
खोने का संकेत है सोना
सोना पाने, उठकर जाग
उदर भरण ही लक्ष्य जहाँ हो
मची वहाँ पर भागमभाग
इक दूजे का हक जो छीना
लेना अपना लड़कर भाग
घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग
देखो नजर बदल के दुनिया
लगता कितना सुन्दर बाग
सुमन खिले हैं सबकी खातिर
लूट रहा क्यों भ्रमर पराग
33 comments:
बेहतरीन!!
सुमन खिले हैं सबके खातिर
क्यों लूटा है भ्रमर पराग
सुन्दर है!!
घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग
देखो दुनियाँ नजर बदल के
लगता है इक सुन्दर बाग
behad khubsurat
वाह, मज़ा आ गया!
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बहुत लाजवाब रचना.
रामराम.
बहुत बढ़िया.
खोने का संकेत है सोना
छोड़ नींद को उठकर जाग
उदर भरण ही लक्ष्य जहाँ हो
मची वहाँ पर भागमभाग
बहुत सुन्दर भाव हैं और उपर सब से पहले जो बात कही है वो जिन्दगी के लिये बहुत अहम है आभार्
लाजवाब शेरों से सजी आपकी ये ग़ज़ल कमाल की है...
हया
बखूबी भाव अभिव्यक्त किया हैं आपने......छोटे किन्तु प्रभावी शेरों में.....
साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......
har sher ki apni ek jagah hai........bahut sundar
बहुत खूब-
परदेशी बालम आयेंगे
कुछ बोला है छत पर काग.
भाव इतर और शब्द इतर हैं
रंग मिलेगा गाकर राग
KABHEE AAPAKE AAWAJ ME SUNANE KA MOUKA MILE TO SARTHAK HO JAYE AAPKI KAWITAO KA PADHANA.....
बहुत सुन्दर जी!
भाव इतर और शब्द इतर हैं
रंग मिलेगा गाकर राग
परदेशी बालम आयेंगे
कुछ बोला है छत पर काग
छोटी बहर में सज़ा लाजवाब गुलदस्ता........ सुंदर ग़ज़ल है .
घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग
jawab nahi..
ati sundar kavita..
badhayi
श्यामल जी,
मन लुभा गई, बड़ी ही खूबसूरत रचना ।
रिश्तों को पहिचाना है सावन के बहाने
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
सब रिश्तों का मोल अलग है
नारी माँगे अमर सुहाग
khubsurat bhav
सुमन खिले हैं सबके खातिर
क्यों लूटा है भ्रमर पराग
खोने का संकेत है सोना
छोड़ नींद को उठकर जाग
bahut sunder gazal
सुन्दर भाव..
जीवन के विविध रंगों को भागमभाग के माध्यम से बहुत सुंदर ढंग से बयां किया है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
प्रेषित है आभार सुमन का
दिया सभी ने बेहतर पाग
(पाग - मिथिला-संस्कृति में किसी के सम्मान में दी जानेवाली एक प्रकार की टोपी)
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
"उदर भरण ही लक्ष्य जहाँ हो
मची वहाँ पर भागमभाग"
सुमन जी!
इस नायाब रचना के लिए तो
मुख से यही निकलता है-
वाह..वाह...
उत्तम!
घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग
बहुत सुंदर लिखा आप ने...
धन्यवाद
"घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग"
ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगी....
इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद...
इक दूजे का हक जो छीना
लेना अपना लड़कर भाग
घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग
बहुत बढ़िया......!!
सरल शब्दों में अच्छी रचना है।
वाह-वाह, सुन्दर रचना |
saral sehaj aur sunder rachna badhai .meri rachna padhne ke liye shukriya .prem
खोने का संकेत है सोना
छोड़ नींद को उठकर जाग
इतने सरल शब्दो मे इतना कुछ
बहुत खूब
बहुत ही ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने!
बहुत ही ख़ूबसूरत !!
भाव इतर और शब्द इतर हैं
रंग मिलेगा गाकर राग
बिना दिए कुछ नहीं मिलता अगर कुछ पाना है तो कुछ देना भी होगा बहुत ही सुंदर मेरा प्रणाम स्वीकार करे
सादर प्रवीण पथिक
9971969084
घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग ।
सुंदर ।
घाव भले तन पर लग जाये
कभी न रखना मन पर दाग
jeevn jeena bahoot kathin hai
likhne se naa jaana bhaag
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