अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ
बनो तुम प्रेम की पाती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ
तेरी आँखों में गर कोई, मेरी तस्वीर बन जाये
मेरी कविता भी जीने की, नयी तदबीर बन जाये
बडी मुश्किल से पाता है कोई दुनियाँ में अपनापन
बना लो तुम अगर अपना, मेरी तकदीर बन जाये
भला बेचैन क्यों होता, जो तेरे पास आता हूँ
कभी डरता हूँ मन ही मन, कभी विश्वास पाता हूँ
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ
कई लोगों को देखा है, जो छुपकर के गजल गाते
बहुत हैं लोग दुनियाँ में, जो गिरकर के संभल जाते
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते
है प्रेमी का मिलन मुश्किल, भला कैसी रवायत है
मुझे बस याद रख लेना, यही क्या कम इनायत है
भ्रमर को कौन रोकेगा सुमन के पास जाने से
नजर से देख भर लूँ फिर, नहीं कोई शिकायत है
बनो तुम प्रेम की पाती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ
तेरी आँखों में गर कोई, मेरी तस्वीर बन जाये
मेरी कविता भी जीने की, नयी तदबीर बन जाये
बडी मुश्किल से पाता है कोई दुनियाँ में अपनापन
बना लो तुम अगर अपना, मेरी तकदीर बन जाये
भला बेचैन क्यों होता, जो तेरे पास आता हूँ
कभी डरता हूँ मन ही मन, कभी विश्वास पाता हूँ
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ
कई लोगों को देखा है, जो छुपकर के गजल गाते
बहुत हैं लोग दुनियाँ में, जो गिरकर के संभल जाते
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते
है प्रेमी का मिलन मुश्किल, भला कैसी रवायत है
मुझे बस याद रख लेना, यही क्या कम इनायत है
भ्रमर को कौन रोकेगा सुमन के पास जाने से
नजर से देख भर लूँ फिर, नहीं कोई शिकायत है
34 comments:
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते
waah bahut khoob
ati sunder rachana ..hatts off
अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
बनो तुम प्रेम की पाँती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ..
vaah sir jee vaah.
अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
बनो तुम प्रेम की पाँती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ..
बहुत सुन्दर प्रेमरस मे भीगी शब्दों की बरसात बधाई
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ
अच्छा बिम्ब प्रस्तुत किया आपने तो
बहुत सुन्दर रचना
बहुत ही ख़ूबसूरत, लाजवाब और दिल को छू लेने वाली रचना लिखा है आपने !
shabd - shabd tarpan hain...ye post behat khoobsoorat hain
"कई लोगों को देखा है, जो छुपकर के गजल गाते
बहुत हैं लोग दुनियाँ में, जो गिरकर के संभल जाते
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते
'इसी सावन में अपना घर जला है...' वाह ! क्या बात कही है, बहुत खूब ! अच्छी रचना, मन को भा गई. बधाइयाँ !!
कई लोगों को देखा है, जो छुपकर के गजल गाते
बहुत हैं लोग दुनियाँ में, जो गिरकर के संभल जाते
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते
waah atisunder,shabd,bhav manbhawan.
बहुत बढ़िया रचना है
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पढ़िए: सबसे दूर स्थित सुपरनोवा खोजा गया
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते..
... बहुत खूब
वाह भाई बहुत सुंदर.
ati sundar.........bahut badhiya.
bahut achchi lagi shayamal ji yah rachna.........
आज मुझे आप का ब्लॉग देखने का सुअवसर मिला।
वाकई आपने बहुत अच्छा लिखा है।
‘…हम तो ज़िन्दा ही आपके प्यार के सहारे है
कैसे आये आपने होंठो से पुकारा ही नही…’’
आशा है आपकी कलम इसी तरह चलती रहेगी और हमें अच्छी -अच्छी रचनाएं पढ़ने को मिलेंगे
बधाई स्वीकारें।
आप मेरे ब्लॉग पर आए, शुक्रिया.
आप के अमूल्य सुझावों का 'मेरी पत्रिका' में स्वागत है...
बहुत खूबसूरत रचना.
रामराम.
'अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
बनो तुम प्रेम की पाँती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ'
-पहली पंक्ति जहां शाश्वत सत्य उजागर करती है, वहीं दूसरी पंक्ति प्रेम की उदात्तता. साधुवाद.
तेरी आँखों में गर कोई, मेरी तस्वीर बन जाये
मेरी कविता भी जीने की, नयी तदबीर बन जाये
बडी मुश्किल से पाता है कोई दुनियाँ में अपनापन
बना लो तुम अगर अपना, मेरी तकदीर बन जाये
इन पंक्तियों पर सब कुछ न्यौछावर. गलती से मेरे ब्लाग पर आपके ब्लाग का लिंक नहीं था. इसलिये ज्यादा मुलाकात नहीं हो पायी. गलती सुघार ली है. दोहों को अपना स्नेह देने के लिये आभार वहां भी भूल-सुधार कर लिया है.
बहुत ही ख़ूबसूरत
दिया प्यार जो आपने उसका है आभार।
यही प्यार तो अबतलक लेखन का आधार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
कई लोगों को देखा है, जो छुपकर के गजल गाते
बहुत हैं लोग दुनियाँ में, जो गिरकर के संभल जाते
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते
ह्रदय से आप लिखते जाते
औ धीरे-धीरे ह्रदय में उतरते जाते ...
बहुत सुंदार लिखे हैं भईया,,,,
वाह ..........
सुमन जी इस लाजवाब रचना के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें...
नीरज
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
बनो तुम प्रेम की पाँती,
तो मैं इक गीत बन जाऊँ..
बहुत सुन्दर।
बधाई!
सुंदर गीत।
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ
' वाह !
क्या बात कही है, बहुत खूब !
अच्छी रचना, मन को भा गई.
बधाइयाँ !!
बहुत खूब लिख है आपने।
बड़ी मुश्किल से पाटा है कोई दुनिया में अपनापन ,
बना लो तुम अगर अपना मेरी तकदीर बन जाए |यह एक सच्चा भावः है ,जिसे बहुत ही सीधे तरीके से व्यक्त किया है |
आपकी पिछली कई रचनाये पढ़ी. बहुत सुंदर लिखते हैं आप. बधाई
prem ki adbhut vyakhya..
aapne kavita ke madhdhym se prem ka itana sundar bhav jagaya hai ki kya kahu..
kuch kavita aisi hoti hai chahe jitani baar padho..bas kuch aisi hi aapki yah kavita hai..
sundar
तेरी आँखों में गर कोई, मेरी तस्वीर बन जाये
मेरी कविता भी जीने की, नयी तदबीर बन जाये
बडी मुश्किल से पाता है कोई दुनिया में अपनापन
बना लो तुम अगर अपना, मेरी तकदीर बन जाये
इस छंद ने तो मन को मोह लिया। क्या बात है जनाब
बहुत सुंदर रचना एं होती हैं आपकी ,अच्छा लगता है पढ़ कर ।
बहुत ही सुन्दर एवं उत्कृष्ट रचना.बधाई.
गुलमोहर का फूल
बहुत अच्छी कविता...वधाई।
Shaandar Tashveer.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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