Saturday, July 25, 2009

संकल्प

लाकर पतझड़ में वसंत को आस जगा जायेंगे
मरने पर भी कोई मेरे गीत सुना जायेंगे

नहीं प्रश्नवाचक जीवन में हो सबकी कोशिश अपनी
सब रहस्य को सच्चे मन से कहीं लिखा जायेंगे

क्यों बालू का बना घरौंदा मालूम था अंजाम हमे
देख के खुद को दर्पण में फिर उन्हें दिखा जायेंगे

ऊँची बातें लिखना कहना बस इतना ही काम नहीं
अपने कर्तव्यों से जग को बोध करा जायेंगे

प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे

15 comments:

M VERMA said...

प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
सलाम जीजिविषा को ---
बहुत अच्छी रचना

डॉ. मनोज मिश्र said...

क्यों बालू का बना घरौंदा मालूम था अंजाम हमे
देख के खुद को दर्पण में फिर उन्हें दिखा जायेंगे..
बहुत सुंदर.

संगीता पुरी said...

बहुत सुंदर लिखा .. पर पहले वाक्‍य को चेक करें !!

Vinay said...

अति सुन्दर और प्रभावशाली रचना!

श्यामल सुमन said...

कभी कभी कोई रचना पूरी होने से मुझे काफी खुशी होती है और कभी उतनी संतुष्टि नहीं मिलती। दरअसल शुरु से ही पहली पंक्ति मुझे भी खटक रही थी और उसपर मैं खुद भी सोच रहा था। कुछ सुधार किया हूँ, पर मैं अभी भी संतुष्ट नहीं हूँ। प्रयास रहेगा कि यह पंक्ति भी सुधर जाय। आपने जो सार्थक संकेत दिया उसके लिए हार्दिक धन्यवाद।

साथ ही उन तमाम टिप्पणीकारों के प्रति भी हार्दिक आभार निवेदित है जिनका स्नेह, समर्थन और सुझाव मुझे सतत मिला है। यूँ ही स्नेह बनाये रखें।


सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Himanshu Pandey said...

क्यों बालू का बना घरौंदा मालूम था अंजाम हमे
देख के खुद को दर्पण में फिर उन्हें दिखा जायेंगे"

इन पंक्तियों ने सर्वाधिक आकर्षित किया । आभार ।

अर्चना तिवारी said...

ऊँची बातें लिखना कहना बस इतना ही काम नहीं
अपने कर्तव्यों से जग को बोध करा जायेंगे

सुंदर भाव है सम्पूर्ण रचना में

दिगम्बर नासवा said...

लाकर पतझड़ में वसंत को आस जगा जायेंगे
मरने पर भी कोई मेरे गीत सुना जायेंगे

वाह सुमन जी ............ आशा का संचार करती, अपने आप को प्रेरणा देती शशक्त रचना है..............

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे

सुन्दर अभिव्यक्ति।

रश्मि प्रभा... said...

waah

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे

खुबसुरत भाव व रचना ।

संजीव गौतम said...

हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
इस सोच को प्रणाम...

Gyan Dutt Pandey said...

सच है जी, जीवन की गुत्थियां सुलझाना ही सफलता है जीवन की।

Urmi said...

बहुत ख़ूबसूरत,लाजवाब और प्रभावशाली रचना लिखा है आपने!

निर्मला कपिला said...

क्यों बालू का बना घरौंदा मालूम था अंजाम हमे
देख के खुद को दर्पण में फिर उन्हें दिखा जायेंगे
लाजवाब
प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
आपकी ये खूबी तो हम आपकी रचनाओं से ही जानते हैं बहुत सुन्दर रचना है शुभकामनायें

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