लाकर पतझड़ में वसंत को आस जगा जायेंगे
मरने पर भी कोई मेरे गीत सुना जायेंगे
नहीं प्रश्नवाचक जीवन में हो सबकी कोशिश अपनी
सब रहस्य को सच्चे मन से कहीं लिखा जायेंगे
क्यों बालू का बना घरौंदा मालूम था अंजाम हमे
देख के खुद को दर्पण में फिर उन्हें दिखा जायेंगे
ऊँची बातें लिखना कहना बस इतना ही काम नहीं
अपने कर्तव्यों से जग को बोध करा जायेंगे
प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
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15 comments:
प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
सलाम जीजिविषा को ---
बहुत अच्छी रचना
क्यों बालू का बना घरौंदा मालूम था अंजाम हमे
देख के खुद को दर्पण में फिर उन्हें दिखा जायेंगे..
बहुत सुंदर.
बहुत सुंदर लिखा .. पर पहले वाक्य को चेक करें !!
अति सुन्दर और प्रभावशाली रचना!
कभी कभी कोई रचना पूरी होने से मुझे काफी खुशी होती है और कभी उतनी संतुष्टि नहीं मिलती। दरअसल शुरु से ही पहली पंक्ति मुझे भी खटक रही थी और उसपर मैं खुद भी सोच रहा था। कुछ सुधार किया हूँ, पर मैं अभी भी संतुष्ट नहीं हूँ। प्रयास रहेगा कि यह पंक्ति भी सुधर जाय। आपने जो सार्थक संकेत दिया उसके लिए हार्दिक धन्यवाद।
साथ ही उन तमाम टिप्पणीकारों के प्रति भी हार्दिक आभार निवेदित है जिनका स्नेह, समर्थन और सुझाव मुझे सतत मिला है। यूँ ही स्नेह बनाये रखें।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
क्यों बालू का बना घरौंदा मालूम था अंजाम हमे
देख के खुद को दर्पण में फिर उन्हें दिखा जायेंगे"
इन पंक्तियों ने सर्वाधिक आकर्षित किया । आभार ।
ऊँची बातें लिखना कहना बस इतना ही काम नहीं
अपने कर्तव्यों से जग को बोध करा जायेंगे
सुंदर भाव है सम्पूर्ण रचना में
लाकर पतझड़ में वसंत को आस जगा जायेंगे
मरने पर भी कोई मेरे गीत सुना जायेंगे
वाह सुमन जी ............ आशा का संचार करती, अपने आप को प्रेरणा देती शशक्त रचना है..............
प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
सुन्दर अभिव्यक्ति।
waah
प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
खुबसुरत भाव व रचना ।
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
इस सोच को प्रणाम...
सच है जी, जीवन की गुत्थियां सुलझाना ही सफलता है जीवन की।
बहुत ख़ूबसूरत,लाजवाब और प्रभावशाली रचना लिखा है आपने!
क्यों बालू का बना घरौंदा मालूम था अंजाम हमे
देख के खुद को दर्पण में फिर उन्हें दिखा जायेंगे
लाजवाब
प्रायः सारे लोग यहाँ पर कहते जीवन उलझन है
हार नहीं स्वीकार सुमन को राह बना जायेंगे
आपकी ये खूबी तो हम आपकी रचनाओं से ही जानते हैं बहुत सुन्दर रचना है शुभकामनायें
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