डर के जीता है क्यों आज भी आदमी
जबकि दुनिया सजी आदमी के लिए
होश में एक तो कई मदहोश हैं
आदमी क्यों नहीं आदमी के लिए
आदमी आदमी को लगाते गले
आदमी काटते आदमी गले
आदमी आदमी से परेशान क्यों
आदमियत तो है आदमी के लिए
आदमी ने विजय चाँद पर पा लिया
आदमी ने लहू आदमी का पिया
आदमी देवता और शैतान भी
नहीं हैवानियत आदमी के लिए
आदमी न तो ढाँचा वो जज़्बात है
आदमी बन के जीना बड़ी बात है
दूर नफ़रत करें मिल चमन के सुमन
सारी रूमानियत आदमी के लिए
जबकि दुनिया सजी आदमी के लिए
होश में एक तो कई मदहोश हैं
आदमी क्यों नहीं आदमी के लिए
आदमी आदमी को लगाते गले
आदमी काटते आदमी गले
आदमी आदमी से परेशान क्यों
आदमियत तो है आदमी के लिए
आदमी ने विजय चाँद पर पा लिया
आदमी ने लहू आदमी का पिया
आदमी देवता और शैतान भी
नहीं हैवानियत आदमी के लिए
आदमी न तो ढाँचा वो जज़्बात है
आदमी बन के जीना बड़ी बात है
दूर नफ़रत करें मिल चमन के सुमन
सारी रूमानियत आदमी के लिए
20 comments:
VAAH आदमी की FITRAT को कितना KAREEB से लिखा है............ SUNDAR RACHNA SUMAN जी ........
सबसे बडा डर तो आदमी को अपनी शक्सीयत से होता है क्योंकि वही बहुआयामी होती है.. न जाने कब कौन सा आयाम दुनिया के सामने खुल जाये यही सबसे बडा डर है..
सुन्दर रचना पढवाने के लिये आभार
डर के जीता है क्यों आज भी आदमी
जबकि दुनिया सजी आदमी के लिए
एक है होश में कई मदहोश हैं
आदमी क्यों नहीं आदमी के लिए
सुन्दर रचना
आदमी की विसंगतियो को बहुत प्रभावशाली ढंग से ---
बहुत खूबसूरत रचना
डर के जीता है क्यों आज भी आदमी
जबकि दुनिया सजी आदमी के लिए
एक है होश में, कितने मदहोश हैं
आदमी क्यों नहीं आदमी के लिए
बहुत बधाई!
आदमी ने विजय चाँद पर पा लिया
आदमी ने लहू आदमी का पिया
आदमी देवता और शैतान भी
नहीं हैवानियत आदमी के लिए
बहुत सुन्दर रचना ।
आदमी न तो ढाँचा वो जज़्बात है
आदमी बन के जीना बड़ी बात है
बहुत खूब!
आदमी ने विजय चाँद पर पा लिया
आदमी ने लहू आदमी का पिया
आदमी देवता और शैतान भी
नहीं हैवानियत आदमी के लिए
आदमी न तो ढाँचा वो जज़्बात है
आदमी बन के जीना बड़ी बात है
दूर नफ़रत करें मिल चमन के सुमन
सारी रूमानियत आदमी के लिए ...
सुन्दर रचना पढवाने के लिये आभार.
mujhe aapki rachna bahut pasand aayi
आप सबका सतत स्नेह और समर्थन मुझमें नयी उर्जा का संचार करता है। एक पंक्ति
"एक है होश में, कितने मदहोश हैं"
को इस तरह
"होश में एक तो कई मदहोश हैं"
बदलने की मुझे जरूरत महसूस हुई और ऐसा संशोधन कर दिया हूँ।
पुनश्च आप सभी के प्रति आभारी हूँ।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
आदमी की फितरत को आपने बखूबी लिखा है ! बहुत सुंदर रचना! मुझे बेहद पसंद आया!
आदमी की यही फितरत है।
सटीक लिखा आपने.
रामराम.
सटीक लिखा आपने.
रामराम.
aap bahut achcha likhte hain.....kaise generate hote hai thought?
congrats you!
श्यामल जी,
जीवन जीने के अंदाज को सिखाती हुई रचना अच्छी लगी, कितना सुन्दर कहा है:-
आदमी न तो ढाँचा वो जज़्बात है
आदमी बन के जीना बड़ी बात है
दूर नफ़रत करें मिल चमन के सुमन
सारी रूमानियत आदमी के लिए
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
खूबसूरत रचना !
आभार
Pankaj
Aadmi ki fitrat ko shabdon men utaar diya hai aapne.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
आदमी न तो ढाँचा वो जज़्बात है
आदमी बन के जीना बड़ी बात है
दूर नफ़रत करें मिल चमन के सुमन
सारी रूमानियत आदमी के लिए ...
aaअदमी की फितरत का सजीव चित्रण किया है नहुत उमदा रचना है बधाई
आदमी न तो ढाँचा वो जज़्बात है
आदमी बन के जीना बड़ी बात है
दूर नफ़रत करें मिल चमन के सुमन
सारी रूमानियत आदमी के लिए...dad deta hoon apke bhavon ki...lajwab rachna.
"युवा" ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
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