जिन्दगी धड़कनों की गिनती का नाम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।
हम जीते हैं प्रायः दिन चौबीस हजार।
दो-तिहाई में सोना, कमाना है यार।।
कुछ बचपन के बीते कुछ दूजे हैं काम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।
जो कदम हम उठायें हों सार्थक सभी।
आदमी बन के जीने का मतलब तभी।
बोध झूठे अहं का है जीवन की शाम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।
नहीं पूछे सुमन उसको बेबस जो आज।
एक मकसद हो उनकी उठायें आवाज।
तभी सम्भव है आये नया परिणाम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।
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20 comments:
चलो निठल्लो को भी कोई प्रणाम करने वाला तो मिला.
बेहतरीन भाव
बेहतरीन रचना
फिर जो बैठे निठ्ठले हैं उनको प्रणाम।।
सही कहा जी अच्छी लगी आपकी यह रचना
बेवजह इन निठल्लों को प्रणाम है।
जिन्दंगी काम का दूसरा नाम है।।
पहली दो पंक्तियाँ तो बेहद खूबसूरत और प्रभावी हैं । सहज सत्य भी समझा रहे हैं आप । आभार ।
बहुत अच्छी रचना है
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चाँद, बादल और शाम
बेहतरीन अभीव्यक्ती और सुन्दर रचना ।
आपकी यह रचना भी बहुत अच्छी लगी. अभार.
जो कदम हम उठायें हों सार्थक सभी।
आदमी बन के जीने का मतलब तभी।
बोध झूठे अहं का है जीवन की शाम।
फिर जो बैठे निठ्ठले हैं उनको प्रणाम।।
....निःसंदेह
atti sunder. man prasann ho gaya.
Bilkul sahi kaha...Bahut Bahut Sundar rachna.... Aabhar.
यह तो बाबा तुलसी दास की तरह हो गया - वे भी दुष्ट जनों को पहले प्रणाम करते हैं।
BLOG BHI KHUBSURAT HAI AUR SABHI KAVITAYEN BHI KHUBSURTI SE LIKHI HAIN..BADHAI!
मिला जिनका समर्थन नहीं कोई दाम।
जो न आये, सुमन का उन्हें भी सलाम।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
लाजवाब रचना है..........सोचने को मजबूर करती .......बहुत ही प्रभावि रचना है
नहीं पूछे सुमन को जो बेबस हैं आज।
एक मकसद हो सबका उठायें आवाज।
तभी सम्भव जो आये नया परिणाम।
फिर जो बैठे निठ्ठले हैं उनको प्रणाम।।
बेहतरीन भाव!
निठल्लों की कोई कमी नही है प्रणाम करते करते थक जायेंगे । कविता तो बहुत अच्छी है ।
Happy Friendship day.....!! !!!!
पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!
bahut badhiyaan
सही लोगों को रचना का विषय बनाया है और कहन भी बहुत अच्छी है. बधाई
जिन्दगी धड़कनों की गिनती का नाम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।
aatu sunder
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