Friday, July 31, 2009

मकसद

जिन्दगी धड़कनों की गिनती का नाम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।

हम जीते हैं प्रायः दिन चौबीस हजार।
दो-तिहाई में सोना, कमाना है यार।।
कुछ बचपन के बीते कुछ दूजे हैं काम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।

जो कदम हम उठायें हों सार्थक सभी।
आदमी बन के जीने का मतलब तभी।
बोध झूठे अहं का है जीवन की शाम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।

नहीं पूछे सुमन उसको बेबस जो आज।
एक मकसद हो उनकी उठायें आवाज।
तभी सम्भव है आये नया परिणाम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।

20 comments:

M VERMA said...

चलो निठल्लो को भी कोई प्रणाम करने वाला तो मिला.
बेहतरीन भाव
बेहतरीन रचना

रंजू भाटिया said...

फिर जो बैठे निठ्ठले हैं उनको प्रणाम।।
सही कहा जी अच्छी लगी आपकी यह रचना

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बेवजह इन निठल्लों को प्रणाम है।
जिन्दंगी काम का दूसरा नाम है।।

Himanshu Pandey said...

पहली दो पंक्तियाँ तो बेहद खूबसूरत और प्रभावी हैं । सहज सत्य भी समझा रहे हैं आप । आभार ।

Vinay said...

बहुत अच्छी रचना है
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चाँद, बादल और शाम

IMAGE PHOTOGRAPHY said...

बेहतरीन अभीव्यक्ती और सुन्दर रचना ।

Chandan Kumar Jha said...

आपकी यह रचना भी बहुत अच्छी लगी. अभार.

रश्मि प्रभा... said...

जो कदम हम उठायें हों सार्थक सभी।
आदमी बन के जीने का मतलब तभी।
बोध झूठे अहं का है जीवन की शाम।
फिर जो बैठे निठ्ठले हैं उनको प्रणाम।।
....निःसंदेह

बिपिन बादल said...

atti sunder. man prasann ho gaya.

रंजना said...

Bilkul sahi kaha...Bahut Bahut Sundar rachna.... Aabhar.

Gyan Dutt Pandey said...

यह तो बाबा तुलसी दास की तरह हो गया - वे भी दुष्ट जनों को पहले प्रणाम करते हैं।

सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट said...

BLOG BHI KHUBSURAT HAI AUR SABHI KAVITAYEN BHI KHUBSURTI SE LIKHI HAIN..BADHAI!

श्यामल सुमन said...

मिला जिनका समर्थन नहीं कोई दाम।
जो न आये, सुमन का उन्हें भी सलाम।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

दिगम्बर नासवा said...

लाजवाब रचना है..........सोचने को मजबूर करती .......बहुत ही प्रभावि रचना है

Prem Farukhabadi said...

नहीं पूछे सुमन को जो बेबस हैं आज।
एक मकसद हो सबका उठायें आवाज।
तभी सम्भव जो आये नया परिणाम।
फिर जो बैठे निठ्ठले हैं उनको प्रणाम।।

बेहतरीन भाव!

Asha Joglekar said...

निठल्लों की कोई कमी नही है प्रणाम करते करते थक जायेंगे । कविता तो बहुत अच्छी है ।

Akshitaa (Pakhi) said...

Happy Friendship day.....!! !!!!

पाखी के ब्लॉग पर इस बार देखें महाकालेश्वर, उज्जैन में पाखी !!

रंजीत/ Ranjit said...

bahut badhiyaan

संजीव गौतम said...

सही लोगों को रचना का विषय बनाया है और कहन भी बहुत अच्छी है. बधाई

संजय भास्‍कर said...

जिन्दगी धड़कनों की गिनती का नाम।
फिर जो बैठे निठल्ले हैं उनको प्रणाम।।
aatu sunder

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