यूँ तो हम हर साल दशहरा मनाते हैं,
रावण के पुतले को पटाखों से सजाकर,
सामूहिक उत्सव में धूमधाम से जलाते हैं।
और नकली रावण को जलाने के लिए
अक्सर असली रावण को बुलाते हैं,
पटाखों की हर आवाज के साथ,
रावण अट्टाहास करता है,
क्योंकि भारत में कई कलियुगी रावण,
बड़े मजे से राज करता है।।
होकर व्यथित राम ने सोचा,
कुछ न कुछ अब करना होगा।
जल्द से जल्द किसी तरह भी,
राम के खाली पदों को भरना होगा।।
क्योंकि हर रावण के पीछे राम चाहिए,
अंगद और हनुमान चाहिए।
राम राज्य लाने की खातिर,
विभीषण जैसा नाम चाहिए।
रावण बोला हे राम,
तू व्यर्थ देख रहा है सपना।
इतने बरस बीत गए,
क्या बनबा सका तू मंदिर अपना।।
राम बोला हे दशकंधर,
तेरी संख्या लगातार बढ़ रही है अंदर अंदर।
मेरे भक्त मेरे ही रथ पे होकर सवार,
कर दिया मुझको बेबस और लाचार।।
हे दशानन,
तेरे विचार लगते अब पावन।
तुम्हीं बताओ कोई राह,
जो पूरा हो जन जन की चाह।।
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
Wednesday, September 30, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ-
36 comments:
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
बिलकुल सही कहा आज कल राम को भी रावण की जरूरत है तभी राज नीति की रोटियाँ सेंकी जाती हैं और आज के राम और रावण शब एक हैं बधाई इस रचना के लिये
राजनीति से कौन बचें....कुछ भी संभव है..बढ़िया रचना....बधाई
अच्छा व्यंग है सुमन जी......... आज के हालत पर सुन्दर तप्सरा है ........
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
एक दम सही लिखा है आपने।
और नकली रावण को जलाने के लिए
अक्सर असली रावण को बुलाते हैं,
यथार्थ है
रावण ही रावण के पुतले पर निशाना लगाता है
नकली रावण को जलाने के लिए
अक्सर असली रावण को बुलाते हैं,
shatpratishat sahi
सुन्दर भावपूर्ण . बढ़िया प्रस्तुति . आजकल खादी के अन्दर राम और रावण दोनों के दर्शन करना सहज है .
होकर व्यथित राम ने सोचा,
कुछ न कुछ अब करना होगा।
जल्द से जल्द किसी तरह भी,
राम के खाली पदों को भरना होगा।।
क्योंकि हर रावण के पीछे राम चाहिए,
अंगद और हनुमान चाहिए।
राम राज्य लाने की खातिर,
विभीषण जैसा नाम चाहिए।
सुमन जी नमस्कार ,
काफी दिन बाद आपको पढ़ने के लिए मिला सुखद अनुभूति .
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
waah lajwaab......!!
kahaan se late hain itani dhaar ....??
लाजवाब और खूबसूरत प्रविष्टि । आभार ।
amazing..........aaj ki rajniti par kada vyangya.
satik hai ..........aaj sab ek hai ....
सटीक व्यंग्य साधा आपने....
रावन ही रावन के पुतले का दहन कर रहा है...क्या विडंबना है....
बहुत करारा प्रहार!
व्यंग्य की पैनी है धार!!
बधाई!
bilkul sahi farmaya....
गहरा व्यंग्य।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
शायद आज कल रावण राज ही तो चल रहा है.
बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने.
धन्यवाद
बड़भागी श्यामल सुमन मिला बहुत ही प्यार।
यही प्यार सच मानिये लेखन का आधार।।
बहुत काम की बात है आपके पोस्ट में - राम के समय रावण से लड़ना सरल था - शत्रु बाहर था। आज लड़ना कठिन है - शत्रु (रावण) हर आदमी के अंदर है!
raavano aur raamon ki nayi paribhasha ghadne ki avshyakta hai...
...pehal ke liye saadhu !! saadhu !!
दुर्योधन है , ओसामा है , कंस कभी कहलाता है ,
रंगमंच का पात्र वही है रूप बदल सा जाता है .
ये कलयुग है इस कलयुग में ऐसा तो होना ही था ,
बेटा माँ को अंधा करके श्रवण कुमार कहलाता है .
wah wah wah.
बड़ा खतरनाक गठबंधन है जी :)
बहुत ही सुंदर और शानदार रचना लिखा है आपने! आज के हालात को मद्दे नज़र रखते हुए आपने बखूबी प्रस्तुत किया है!
और नकली रावण को जलाने के लिए
अक्सर असली रावण को बुलाते हैं,
अच्छा व्यंग है सुमन जी......... आज के हालत पर
आभार
www.cmgupta.blogspot.com
और नकली रावण को जलाने के लिए
अक्सर असली रावण को बुलाते हैं,
और नकली रावण को जलाने के लिए
अक्सर असली रावण को बुलाते हैं,
करारा व्यंग है ...!
आपको क्षमाके साथ ये क्षमा एक अर्ज़ करती है ...टिप्पणी के लिए तहे दिलसे शुक्रिया ..लेकिन मै 'शमा ' नहीं क्षमा हूँ.. .......!!!
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
bahut gahra vayng hai
aajkal raam ko bhi ravan ki zarurat hai
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
- करारा व्यंग्य. साधुवाद.
भाई आप ठीक आदमी नहीं हैं. हंसी-हंसी में इतनी गंभीर बातें की जाती हैं? रावण और उसके फालोवर्स हर युग में नम्बर वन रहे हैं. फिर यह तो कलियुग है भाई, इस में भी पूरे तौर पर इन्हीं का शासन रहेगा, राम राज्य एक सपना है, सुनने-सुनाने में अच्छा लगता है.
आपने मेरी बात का बुरा तो नहीं माना!
जीवन ही एक समझौता है। सुंदर लिखा है, बधाई।
Think Scientific Act Scientific
श्यामल भाई,
मैं हिन्दी फिल्मों में लाठी भांजते हुये हीरो ने हमेशा मन मोहा है कि एक बीस-तीस-चालीस लोगों पर भारी पड़ता है।
उसी तरह आज आपने जो लाठी भांजी है कि सबहिं चारो खाने चित्त।
वाह!!!!
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
पिछले कुछ दिनों से संपर्क नही रख पाया मुआफी चाहूंगा।
महोदय जी प्रणाम ,
आपका व्यंग बहुत ही सटीक बैठता है आज के समय में.
बेहतरीन रचना के लिए आपको बधाइयाँ.
Suman ji ;
Aapki is kavita me accha vyangya chupa hua hai....
raavan aur raam ke beech ke sanwaad ke dwara aapne bahut acchi tarah se aaj ke desh ki stithiti ko darshaya hai...
meri badhai sweekar kare..
dhanywad
vijay
www.poemofvijay.blogspot.com
बहुत सुन्दर रचना । आभार
ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
Dadi Guddo
Shyamal Suman
समझौता
यूँ तो हम हर साल दशहरा मनाते हैं,
... रावण के पुतले को पटाखों से सजाकर,
... सामूहिक उत्सव में धूमधाम से जलाते हैं।
और नकली रावण को जलाने के लिए
अक्सर असली रावण को बुलाते हैं,
पटाखों की हर आवाज के साथ,
रावण अट्टाहास करता है,
क्योंकि भारत में कलियुगी रावण,
बड़े मजे से राज करता है।।
एक दिन व्यथित राम ने सोचा,
कुछ न कुछ अब करना होगा।
जल्द से जल्द किसी तरह भी,
राम के खाली पदों को भरना होगा।।
क्योंकि हर रावण के पीछे राम चाहिए,
अंगद और हनुमान चाहिए।
राम राज्य लाने की खातिर,
विभीषण जैसा नाम चाहिए।
रावण बोला हे राम,
तू व्यर्थ देख रहा है सपना।
इतने बरस बीत गए,
क्या बनबा सका तू मंदिर अपना।।
राम बोला हे दशकंधर,
तेरी संख्या लगातार बढ़ रही है अंदर अंदर।
मेरे भक्त मेरे ही रथ पे होकर सवार,
कर दिया मुझको बेबस और लाचार।।
हे दशानन,
तेरे विचार लगते अब पावन।
तुम्हीं बताओ कोई राह,
जो पूरा हो जन जन की चाह।।
रावण बोला हे राम,
तुम व्यर्थ ही हो परेशान।
आओ हम तुम मिलकर,
चुनाव पूर्व गठबंधन बनायें।
जीत जाने पर
प्रजा को ठेंगा दिखायें।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।See More
LikeUnlike · · Share · 22 hours ago
Deepa Bhurani, Trapti Jain, Preeti Khanna Fernandes and 7 others like this..
.Remove Comment...Mark as SpamReport as Abuse...
Remove CommentMark as SpamMukesh Bhatia Dadi aapko Dussehra ki shubhkaamnayen hamare pariwar ki taraf se.
13 hours ago · LikeUnlike.Dadi Guddo मुकेश जी आशीर्वाद
12 hours ago · LikeUnlike.Dadi Guddo हिदायत बेटा धन्यवाद
5 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo सुजाता बेटी धन्यवाद
5 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo एस पी डोगरा नन्हे भाई धन्यवाद
4 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo तृप्ति जैन बेटी धन्यवाद
4 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo दीपा भूरानी बेटी धन्यवाद
3 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo प्रीती नन्हों बिट्टो धन्यवाद
3 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo रश्मि बेटी धन्यवाद
3 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo रोहित राजपूत सुपुत्र धन्यवाद
2 minutes ago · LikeUnlike.Dadi Guddo ब्रिज परूथी नन्हे भाई धन्यवाद
2 minutes ago · LikeUnlike.
Write a comment...
...RECENT ACTIVITY
Post a Comment