Sunday, January 17, 2010

किनारा लगाते रहे

मैं भी हँसता रहा वो हँसाते रहे
दिल की आपस में दूरी बढ़ाते रहे

न तो पीने को पानी न आँखों में है
इसलिए आँसुओं से नहाते रहे

जब जरूरत पड़ी साथ मुझको लिया
वक्त बदला किनारा लगाते रहे

हाथ मिलते रहे, बेरूखी आँख में
वो मशीनों सा बस मुस्कुराते रहे

जिसने लूटा चमन, बागबां है वही
इस चमन के सुमन छटपटाते रहे

15 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice

Udan Tashtari said...

मैं भी हँसता रहा वो हँसाते रहे
दिल की आपस में दूरी बढ़ाते रहे

-क्या बात है..बहुत खूब!!

डॉ. मनोज मिश्र said...

जब जरूरत पड़ी साथ मुझको लिया
वक्त बदला किनारा लगाते रहे...
बहुत ही सुंदर.

डॉ महेश सिन्हा said...

न तो पीने को पानी न आँखों में है
इसलिए आँसुओं से नहाते रहे

वाह

अरुण चन्द्र रॉय said...

हाथ मिलते रहे, बेरूखी आँख में
वो मशीनों सा बस मुस्कुराते रहे.....
bahut achha kaha aapne ! hum ho hi gaye hain aise... ! achhi rachna ke liye badhai !

रंजना said...

जिसने लूटा चमन, बागबां है वही
इस चमन के सुमन छटपटाते रहे !!


WAAH !!! WAAH !!! WAAH !!!

ATISUNDAR .....

डॉ टी एस दराल said...

जब जरूरत पड़ी साथ मुझको लिया
वक्त बदला किनारा लगाते रहे

सत्य का बोध कराती पंक्तियाँ।
सुन्दर।

Kusum Thakur said...

"जिसने लूटा चमन, बागबां है वही
इस चमन के सुमन छटपटाते रहे "

बहुत ही सुन्दर रचना !! आप ऐसे ही लिखते रहें !

राज भाटिय़ा said...

मैं भी हँसता रहा वो हँसाते रहे
दिल की आपस में दूरी बढ़ाते रहे
वाह क्या बात है

Yogesh Verma Swapn said...

sabh panktian ek se badh kar ek. wah.

श्यामल सुमन said...

शुक्रिया पेश है आपके प्यार का
हौसला यूँ ही मेरा बढ़ाते रहे

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

vandana gupta said...

bahut hi sundar ........kis kis ki tarif karoon.

चन्द्र कुमार सोनी said...

bahut badhiyaa.
i liked it.
thanks.
www.chanderksoni.blogspot.com

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने!

निर्मला कपिला said...

बहुत खूब शुभकामनायें

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