हार जीत के बीच में, जीवन एक संगीत।
मिलन जहाँ मनमीत से, हार बने तब जीत।।
डोर बढ़े जब प्रीत की, बनते हैं तब मीत।
वही मीत जब संग हो, जीवन बने अजीत।।
रोज परिन्दों की तरह, सपने भरे उड़ान।
सपने गर जिन्दा रहे, लौटेगी मुस्कान।।
रौशन सूरज चाँद से. सबका घर संसार।
पानी भी सबके लिए, क्यों होता व्यापार।।
रोना भी मुश्किल हुआ, आँखें हैं मजबूर।
पानी आँखों में नहीं, जड़ से पानी दूर।।
निर्णय शीतल कक्ष से, अब शासन का मूल।
व्याकुल जनता हो चुकी, मत कर ऐसी भूल।।
सुमन आग भीतर लिए, खोजे कुछ परिणाम।
मगर पेट की आग ने, बदल दिया आयाम।।
मिलन जहाँ मनमीत से, हार बने तब जीत।।
डोर बढ़े जब प्रीत की, बनते हैं तब मीत।
वही मीत जब संग हो, जीवन बने अजीत।।
रोज परिन्दों की तरह, सपने भरे उड़ान।
सपने गर जिन्दा रहे, लौटेगी मुस्कान।।
रौशन सूरज चाँद से. सबका घर संसार।
पानी भी सबके लिए, क्यों होता व्यापार।।
रोना भी मुश्किल हुआ, आँखें हैं मजबूर।
पानी आँखों में नहीं, जड़ से पानी दूर।।
निर्णय शीतल कक्ष से, अब शासन का मूल।
व्याकुल जनता हो चुकी, मत कर ऐसी भूल।।
सुमन आग भीतर लिए, खोजे कुछ परिणाम।
मगर पेट की आग ने, बदल दिया आयाम।।
17 comments:
पेट की आग बुझने के बाद आत्मा की आग शमित करें कविवर । सुन्दर ।
अपनी इच्छा के अनुरूप कार्य नहीं कर पाना .. यह तो बहुत सारे लोगों का दुर्भाग्य है !!
सुन्दर अभिव्यक्ति,आभार
सुमन के भीतर आग है खोजे कुछ परिणाम।
मगर पेट की आग ने बदल दिया आयाम।।
बहुत सुंदर रचना, आज के हालात पर सटीक जी.
धन्यवाद
nice.
बहुत सुन्दर रचना .बधाई
यह आग ठण्डी नही पड़नी चाहिए!
श्यामल जी
चिरंजीव भवः
सुमन के भीतर आग है
यही तो सच्चा राग है
कोशिश करके मिट जायेंगे,
गहरा जितना दाग है
इस जलती हुई मशाल को जलाये रक्खो श्यामल
सुंदर अति सुंदर दर्द भरी रचना को जी के लिखा है आपने
कहाँ से धन्यवाद के शब्द लायूं
आशीर्वाद के साथ आपकी गुड्डो दादी
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
इस आग को जलाये रखना
और पेट की आग को बुझाये रखना ।
सुन्दर रचना ।
रोना भी मुश्किल हुआ आँखें हैं मजबूर।
पानी आँखों में नहीं जड़ से पानी दूर।।
bahut hi gahre bhav.
रोना भी मुश्किल हुआ आँखें हैं मजबूर।
पानी आँखों में नहीं जड़ से पानी दूर।।
जड़ से पानी दूर हुआ तो जड़ता आयेगी.
अतृप्त कामनाओं की फिर बद्ली छायेगी.
सुन्दर दोहे !!!
Suman ji aapne jis tarah kai sachchaiyon aur takleefon ko rachna me udela hai wah dekhte banta hai..
bahut khub
suman ji aag bahut tej hai aur ye aag sab ke aandar lagani hogi
kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat ....!!
Satat vicharneey ....Atisundar......
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