टिप्पणी पाने के लिए, टिप्पणी करना सीख।
बिन माँगे कुछ न मिले, मिले माँगकर भीख।।
पोस्ट जहाँ रचना हुई किया शुरू यह खेल।
जहाँ तहाँ हर पोस्ट पर कुछ तो टिप्पणी ठेल।।
कहता रचनाकार क्या, क्या इसके आयाम?
"नाईस", "उम्दा" कुछ लिखें चल जाता है काम।।
आरकुट और मेल से माँगें सबकी राय।
कुछ टिप्पणी मिल जायेंगे करते रहें उपाय।।
टिप्पणी ऐसी कुछ मिले मन का टूटे धीर।
रोते रचनाकार वो होते जो गम्भीर।।
संख्या टिप्पणी की बढ़े, बढ़ जायेगा मान।
भले कथ्य विपरीत हों इस पर किसका ध्यान।।
गलती भी दिख जाय तो देना नहीं सलाह।
उलझेंगे कुछ इस तरह रोके सृजन प्रवाह।।
सृजन-कर्म है साधना भाव हृदय के खास।
व्यथित सुमन यह देखकर जब होता उपहास।।
बिन माँगे कुछ न मिले, मिले माँगकर भीख।।
पोस्ट जहाँ रचना हुई किया शुरू यह खेल।
जहाँ तहाँ हर पोस्ट पर कुछ तो टिप्पणी ठेल।।
कहता रचनाकार क्या, क्या इसके आयाम?
"नाईस", "उम्दा" कुछ लिखें चल जाता है काम।।
आरकुट और मेल से माँगें सबकी राय।
कुछ टिप्पणी मिल जायेंगे करते रहें उपाय।।
टिप्पणी ऐसी कुछ मिले मन का टूटे धीर।
रोते रचनाकार वो होते जो गम्भीर।।
संख्या टिप्पणी की बढ़े, बढ़ जायेगा मान।
भले कथ्य विपरीत हों इस पर किसका ध्यान।।
गलती भी दिख जाय तो देना नहीं सलाह।
उलझेंगे कुछ इस तरह रोके सृजन प्रवाह।।
सृजन-कर्म है साधना भाव हृदय के खास।
व्यथित सुमन यह देखकर जब होता उपहास।।
36 comments:
हा-हा-हा, ये भी खूब रही !
गलती भी दिख जाय तो देना नहीं सलाह।
उलझेंगे कुछ इस तरह रोके सृजन प्रवाह...
सही बात कह दी ...!!
टिप्पणी देने आ गए देखो फिर हम आज।
हमारी पोस्ट की आप भी रख लेना जी लाज।
बाटँन वाले को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग,
ऐसी टिप्पणी कीजिए सारे रह जाए दंग।:)
टिप्पणी पाने के लिए टिप्पणी करना सीख।
बिन माँगे कुछ न मिले मिले माँगकर भीख।।
hahaha........sachchi
अब आप ही बताएं, टिप्पणी दें या न दें? :)
ये रचना सचमुच अच्छी लगी.
मैं टिप्पणी लेने के लिए नहीं कह रहा हूँ. सच्ची.
बहुत खूब सुमन जी
ये खेल तो काफी समय से देख रहे है, कभी इमानदार कमेंट्स देकर आलोचना का शिकार भी हुए वैसे safe है "NICE "
Ha,ha,ha! ab ispe kya comment kiya jaye? Waise mere jaisi ek adna-si wyakti,jo na kavi hai na lekhak,badi shashopanj me pad jati hai!
vaah vaah..........is hath de aur is hath le..........give and take.........achcha formula bataya hai.
वाह सुमन जी .......
गलती भी दिख जाय तो देना नहीं सलाह।
उलझेंगे कुछ इस तरह रोके सृजन प्रवाह।।
सृजन-कर्म है साधना भाव हृदय के खास।
व्यथित सुमन यह देखकर जब होता उपहास।
इस रचना में व्यंगात्मक शैली में लिखी आपकी संवेदना दिख रही है.....
टिप्पणी से मिलता है एक नया उत्साह
हर रचनाकार को होती इसकी चाह ....
टिपण्णी से टीपण्णी मिले कर कर लंबे हाथ.
बहुत सुंदर लगी जनाब आप की यह कविता.
धन्यवाद
रोते हुए आते है सब ,हँसता हुआ जो जायेगा ,सार्थकता जो अपनाएगा ,ब्लॉग का सिकंदर वही कहलायेगा /
सृजन-कर्म है साधना भाव हृदय के खास।
व्यथित सुमन यह देखकर जब होता उपहास।।
"नाईस"ही ठीक है रहिए नो टेंसन
काहे लंबी टीप के रहिएगा अटेंसन॥
टिप्पणी पाने के लिए टिप्पणी करना सीख।
बहुत खूब, लाजबाब !
प्रिय श्यामलाल जी, काव्य विधा में जिस तरह से आप ने विषय को प्रस्तुत किया है वह पढ कर आनंद आ गया!
प्रभु करे कि इस कविता को जम कर टिप्पणियां मिलें!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.IndianCoins.Org
कहता रचनाकार क्या, क्या इसके आयाम।
"नाईस", "उम्दा" कुछ लिखें चल जाता है काम।।
आपने एकदम सच लिखा है ... कई बार तो यह देखता हूँ कि कुछ लोग एक ही टिप्पणी को दस जगह कॉपी पेस्ट कर देते हैं ... बिलकुल वही शब्द, वही वाक्य आपको अलग अलग ब्लॉग पर अलग अलग पोस्ट में दिख जायेंगे ... कुछ ऐसे लोग भी हैं जो एक ही पोस्ट पर दो तीन बार टिप्पणी देते हैं ... सिर्फ इसलिए कि टिप्पणी की संख्या बढे ... और आप भी खुश होकर उनके पोस्ट पर टिप्पणी दें ... और टिप्पणी भी ऐसी कि पोस्ट से कोई लेने देना ही नहीं "बस आ गए हैं आपके ब्लॉग पर, मैंने दे दिया है, अभी आपकी बारी है" के तर्ज पर ...
वैसे सच तो ये है कि ये सारे हथकंडे काफी सफल हैं ...
जय टिप्पणी माता की ...
दोहे द्वारा हास्य --वाह सुमन जी क्या बात है !
बहुत बढ़िया ।
सुंदर दोहे।
हा हा..
क्या ज़माना है.. टिपण्णी भी भीख में लेनी पद रही है !
(आशा करता हूँ कि इस टिप्पणी के बदले मुझे भी एक टिप्पणी मिल जाएगी :) )
sabhi blog bandhuon ke man ki baat kah di aapne
aapka aabhar
संख्या टिप्पणी की बढ़े, बढ़ जायेगा मान।
भले कथ्य विपरीत हों इस पर किसका ध्यान।।
===
बहुत खूब
श्यामल जी
सदा सुखी रहो
ऑरकुट और मेल से मांगे सबकी राय
कुछ टिप्पणी मिल जायेंगे करते रहें उपाय
कैसे बंद करूँ हंसी क्या चुन चुन कर लिखा है
ब्लॉगजगत की व्यथा कथा । वाह बहुत अच्छा ।
kya bat he achha topic liya aap ne gazal ke liye kabile tarif he
गलती भी दिख जाय तो देना नहीं सलाह।
उलझेंगे कुछ इस तरह रोके सृजन प्रवाह।।
सृजन-कर्म है साधना भाव हृदय के खास।
व्यथित सुमन यह देखकर जब होता उपहास।
bilkul sahi likha sir, aajkal isi funde ko apnana chahiye blogger khush ho jayenge.....
plz mind mat karna bas yun hi kah rahi
संख्या टिप्पणी की बढ़े, बढ़ जायेगा मान।
भले कथ्य विपरीत हों इस पर किसका ध्यान।।
ज़ोर का झटका धीरे से ...!
सही सीख रहे हो भाई जी ! हार्दिक शुभकामनायें !
लो जी भाई जी हमने तो दे दी टिपण्णी अब आप की बारी !!
वैसे राय बढ़िया लगी,
"टिप्पणी पाने के लिए टिप्पणी करना सीख।
बिन माँगे कुछ न मिले मिले माँगकर भीख।।"
टिपण्णी का खेल अनूठा है.कुछ सच कुछ झूंठा है .....सारी बातें सही है
अब टिपण्णी का कर्जा चुकाने आ जाना :) :) : )
http://athaah.blogspot.com/
श्यामल जी
टिप्पणी ऐसी कुछ मिले मन का टूटे धीर
रोते रचनाकार वो होते जो गंभीर
टिप्पणी न हुई मानो इतिहास के पन्ने हो गये टिप्पणी मिलने के यही खेल हो रहे हैं
न मिले तो रोते है बेकल र्रात भर
:)
टिपण्णी से टीपण्णी मिले कर कर लंबे हाथ.
बहुत सुंदर लगी जनाब आप की यह कविता.
धन्यवाद
bahut badhiya likha hain aapne.
thank.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
पोस्ट जहाँ रचना हुई किया शुरू यह खेल।
जहाँ तहाँ हर पोस्ट पर कुछ तो टिप्पणी ठेल।।
वाह! बोल सियावर रामचन्द्र की जै! :)
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 08.05.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
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