निर्णय जो भी कोर्ट का मिल सब करें प्रणाम।
खुदा तभी मिल पायेंगे और मिलेंगे राम।।
मंदिर-मस्जिद नाम पर कितने हुए अधर्म।
लोग समझ क्यों न सके असल धर्म का मर्म।।
हुआ अयोध्या नाम पर धन-जन का नुकसान।
रोटी पहले या खुदा सोचें बन इन्सान।।
कम लोगों को राज है अधिक यहाँ पर रंक।
यही व्यवस्था चल रही फैल रहा आतंक।।
रंग सियासी यूँ चढ़ा डोल रही सरकार।।
लग जाते उद्योग तो मिलते कुछ रोजगार।।
असली मुद्दा खो गया बुरा देश का हाल।
आज मीडिया सनसनी बाँटे करे कमाल।।
मानवता ही धर्म है और धर्म है दूर।
भारत है हर सुमन का भाई सब मंजूर।।
Thursday, September 23, 2010
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19 comments:
असली मुद्दा खो गया बुरा देश का हाल।
आज मीडिया सनसनी बाँटे करे कमाल।।
हकीकत तो यही है ..
सुन्दर रचना
सभी दोहे बहुत बढ़िया है!
दोहे बहुत बढ़िया है!
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
मंदिर-मस्जिद नाम पर कितने हुए अधर्म।
लोग समझ क्यों न सके असल धर्म का मर्म।।
Aah! Kitna sahi kaha aapne! Kaash sab log ise samajhen!
(वैसे तो अदालती निर्णय का सम्मान होना सर्वोपरी हैं. लेकिन, फैसला हिन्दुओं के पक्क्ष में आना चाहिए क्योंकि वहाँ पहले मंदिर था. मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाना बाबर की एक भयानक भूल-गलती थी. जिसे सुधारा जाना अति-आवश्यक हैं. वैसे तो अदालती निर्णय का सम्मान होना सर्वोपरी हैं.)
EXCELLENT.
THANKS.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
सार्थक लेखन के लिए शुभकामनाये.......
“20 वर्षों बाद मिला मासूम केवल डॉन से"
आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
एक सार्थक गजल।
मंदिर-मस्जिद नाम पर कितने हुए अधर्म।
लोग समझ क्यों न सके असल धर्म का मर्म।।
कितना सही कहा आपने...
धर्म का मर्म ही जो जान लेते तो फिर बात ही क्या होती...फिर तो केवल और केवल सौहाद्र होता...
सार्थक रचना...आभार !!!
आप से सहमत है जी, बहुत सही लिखा आप ने धन्यवाद
असली मुद्दा खो गया बुरा देश का हाल।
asli nakli muddo ki hoti kya pahchan,,,,,
jo dilwaye T.R.P. use hi mudda maan......
yahi line jo aaj ke media karmiyo ki hai, bahut achhi rachna dhanyabaad.
बढ़िया दोहे.........सटीक बात.........
बधाई सुमन जी !
मंदिर-मस्जिद नाम पर कितने हुए अधर्म।
लोग समझ क्यों न सके असल धर्म का मर्म।।
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bas yahi to samsya hai..... bahut hi achhe dohe... baatne ke liye aabhar
कम लोगों को राज है अधिक यहाँ पर रंक |
यही व्यवस्था चल रही फ़ैल रहा आतंक ||
बहुत स्टीक सच क्या नेता समझेंगे
पहले भर पेट में रोटी का दाना फिर पूजा को जाना
पहले आत्मा फिर परमात्मा
क्षमा करना सोनी जी आपने लिखा फैसला हिंदुओं के पक्ष में आना चाहिए वहाँ मंदिर था
न कोई हिंदू,मुस्लिम,सिक्ख पैदा हुआ
है और ना ही मरता है
हिंदू में ओउम्,अंग्रेज ऐ मैन,मुस्लिम में आमीन और सिक्खों में एकम ओंकार
भगवान खुदा मंदिर मस्जिद में नहीं दिलों में बसता है सबसे बड़ा धर्म
जैसा श्यामल जी ने लिखा
मानवता ही धर्म है और धर्म है दूर
VERY IMP. TOPIC SIR....
बढ़िया प्रस्तुति...
अब हिंदी ब्लागजगत भी हैकरों की जद में .... निदान सुझाए.....
कम लोगों को राज है अधिक यहाँ पर रंक।
यही व्यवस्था चल रही फैल रहा आतंक।।
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आपने बहुत सटीक दोहा लिखा है। तथाकथित धर्माचारी धर्म को सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी बनाते हैं। सनसनी फैलाने के लिए ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनसे उनका मतलब हल हो जाता है परन्तु आम जनता के कष्ट बढ़ जाते हैं।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
दर्द बाँट्ते -बाँट्ते थक गया हूं,
इस लिये चर्चा से रुक गया हूं!
कभी कोई करता है तो आह भरता हूं,
आपने की आपको कोटिश:बधाई करता हूं!!
nice blog!
sundar rachna!
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