रोटी खाने को कम है बची थालियाँ
बात रोने की है और बजी तालियाँ
जिन्दगी में भरोसा अगर टूटता .
अच्छी बातें भी लगतीं तभी गालियाँ
फर्क ससुराल, शमशान में कुछ नहीं
खोजने पर जहाँ न मिली सालियाँ
थी हुकुमत की कोशिश नहर के लिए
पर हकीकत वहाँ पर बनीं नालियाँ
हाल बदलेंगे, जज्बात दिल में अगर
और सुमन से सजेंगी नयी डालियाँ
बात रोने की है और बजी तालियाँ
जिन्दगी में भरोसा अगर टूटता .
अच्छी बातें भी लगतीं तभी गालियाँ
फर्क ससुराल, शमशान में कुछ नहीं
खोजने पर जहाँ न मिली सालियाँ
थी हुकुमत की कोशिश नहर के लिए
पर हकीकत वहाँ पर बनीं नालियाँ
हाल बदलेंगे, जज्बात दिल में अगर
और सुमन से सजेंगी नयी डालियाँ
15 comments:
बदले हालात, जज्बात दिल में अगर
बिन सुमन के कहीं क्या सजी डालियाँ
Waah! waah! Waah!
Waise to harek pankti daad maangatee hai!
सुन्दर शब्दों के साथ भावमय प्रस्तुति ।
रोटी खाने को कम है बची थालियाँ
बात रोने की है और बजी तालियाँ
पढ़ कर यही शब्द निकले
देखा था मेरी आँखों ने सुलग रही थी तालियों पर जवाला
एक और लिखा
बदले हालात, जज्बात दिल में अगर
बिन सुमन के कहीं क्या सजी डालियाँ
घर के आँगन में फूल खिले डाली डाली
कभी तो आएगा इस बाग का माली
देखा था मेरी आँखों ने सुलग रही थी जवाला
जी रहे थे अक्ष देख कर
पानी में किसी ने पत्थर मारा तो मंजर ही बदल गया
फर्क ससुराल, शमशान में कुछ नहीं
खोजने से जहाँ न मिली सालियाँ
यकीनन ...
वाह जी क्या कहने हैं इस ग़ज़ल के.
बदले हालात, जज्बात दिल में अगर
बिन सुमन के कहीं क्या सजी डालियाँ
bahut khub
achhi kavita
थी हुकुमत की कोशिश नहर के लिए
सोचाता हूँ वहाँ क्यों बनी नालियाँ....
बहुत सुन्दर सटीक अभिव्यक्ति...
अच्छी ग़ज़ल है...बधाई।
बहुत खुब जी धन्यवाद
बहुत ही सुन्दर रचना, तालियाँ।
फर्क ससुराल, शमशान में कुछ नहीं
खोजने से जहाँ न मिली सालियाँ
ये तो कमाल की लाइन है सुमन जी। बहुत खूब बहुत खूब। आपकी कितनी सालियां है?
श्यामल जी
चिरंजीव भवः
रोटी खाने को कम है बची थालियाँ
बात रोने की है और बजी तालियाँ
बहुत मन को छूती पंक्ति लिखी
मन को छूती पंक्तियाँ
पुतुल सुमन ने मेरी बहुत सेवा की कैसे भूल जाऊं
यही जज्बात पर तो जीती हूँ
जिन्दगी में भरोसा न टूटे कभी
बदले हालात, जज्बात दिल में अगर
यही शब्द
दो दिन के लिए मेहमान यहाँ
मालूम नहीं मंजिल है कहाँ
इक फूल जला इक खिला
कैसे करूं किस्मत से गीला
खूबसूरत रचना के लिए बधाई.
धन्यवाद.
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हाल बदलेंगे, जज्बात दिल में अगर
और सुमन से सजेंगी नयी डालियाँ
बहुत सुंदर लिखा है ...
शुभकामनायें ...
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