अपनों के आस पास है तो क्या बात है
यदि कोई उनमे खास है तो क्या बात है
मजबूरियों से जिन्दगी का वास्ता बहुत,
यूँ दिल में गर विश्वास है तो क्या बात है
आँखों से आँसू बह गए तो क्या बात है
बिन बोले बात कह गए तो क्या बात है
मुमकिन नहीं है बात हरेक बोल के कहना,
भावों के साथ रह गए तो क्या बात है
इन्सान बन के जी सके तो क्या बात है
मेहमान बन के पी सके तो क्या बात है
कपड़े की तरह जिन्दगी में आसमां फटे,
गर आसमान सी सके तो क्या बात है
जो जीतते हैं वोट से तो क्या बात है
जो चीखते हैं नोट से तो क्या बात है
जो राजनीति चल रही कि लुट गया सुमन,
जो सीखते हैं चोट से तो क्या बात है
यदि कोई उनमे खास है तो क्या बात है
मजबूरियों से जिन्दगी का वास्ता बहुत,
यूँ दिल में गर विश्वास है तो क्या बात है
आँखों से आँसू बह गए तो क्या बात है
बिन बोले बात कह गए तो क्या बात है
मुमकिन नहीं है बात हरेक बोल के कहना,
भावों के साथ रह गए तो क्या बात है
इन्सान बन के जी सके तो क्या बात है
मेहमान बन के पी सके तो क्या बात है
कपड़े की तरह जिन्दगी में आसमां फटे,
गर आसमान सी सके तो क्या बात है
जो जीतते हैं वोट से तो क्या बात है
जो चीखते हैं नोट से तो क्या बात है
जो राजनीति चल रही कि लुट गया सुमन,
जो सीखते हैं चोट से तो क्या बात है
13 comments:
क्या बात क्या बात क्या बात है?
ग़ज़ब की कविता ......
कमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी
कमाल की कविता। हम सभी सीखते हैं चोटों से।
आँखों से आँसू बह गए तो क्या बात है?
बिन बोले बात कह गए तो क्या बात है?
आपकी यह कविता भी कुछ खास है
ऐसे ही लिखते रहें,यह मेरी अरदास है (अरदास=प्रार्थना
हर कविता की पंक्ति में मेरी अपनी कहानी
पढ़ कर होती प्रसन्न बहता आँखों से पानी
जो सीखते हैं चोट से तो क्या बात है...
अच्छी कविता है।
वाह .. बहुत बढिया !!
बहुत सुंदर जी धन्यवाद
वाह...वाह...वाह...
क्या बात है......लाजवाब !!!!
मुमकिन नहीं है बात हरेक बोल के कहना,
भावों के साथ रह गए तो क्या बात है?
आपकी एक और अनोखी कविता
वह मेरे पास हो अपनी ही रात है
दुःख मिलकर बाटें मन को राहत है
जीवन में अच्छे मित्र की चाहत है
मित्र बुराई करे वो विश्वासघात है
क्या बात है.
waah,
mast.
kyaa baat hain
waah waah
waah waah.
thanks.
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अपनों के आस पास है तो क्या बात है
यदि कोई उसमें खास है तो क्या बात है
बहुत ही जानदार अद्भुत रचनात्मक शब्दोँ से भरपूर
बहार लिए खड़ी हाथों के हार,
सदियों से तेरा था इंतज़ार।
मुमकिन नहीं है बात हरेक बोल के कहना,
भावों के साथ रह गए तो क्या बात है
ये रचना लगी अच्छी क्या बात है |
येसे ही लिखते रहे अच्छा क्या बात है |
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