Wednesday, June 8, 2011

हर पल यहाँ बदलता जीवन

अगर - मगर  विह्वलता  जीवन
निर्णय  तुरत  सफलता  जीवन

इक बगिया अनुभव चिन्तन की 
जिसमें   रोज   टहलता  जीवन

सार्थक  सोच  समय  पर हो तो
कितना  दूर   निकलता  जीवन

जब आपस में मिलना मुश्किल
किंचित  यही  विकलता जीवन

खुशी खुशी जब दो दिल मिलते
क्या  पुरजोर   मचलता  जीवन

वह  जीवन  अनुपम  जीवन  है
गिर  के  जहाँ  सम्भलता जीवन

सुमन  समेटो  अपनी  खुशियाँ
हर  पल  यहाँ  बदलता जीवन

7 comments:

Kusum Thakur said...

बिल्कुल सही कहा है आपने...... खुशियों को जहाँ तक हो सके समेट लेना चाहिए.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुमन समेटो सारी खुशियाँ
हर पल यहाँ बदलता जीवन
...वाह!

प्रवीण पाण्डेय said...

मिलता रहता सतत रसिक रस,
सुन्दर सरस बहलता जीवन।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत उम्दा ग़ज़ल!

प्रज्ञा पांडेय said...

bahut hi sundar rachanaa

प्रज्ञा पांडेय said...

bahut hi sundar rachanaa

Vandana Ramasingh said...

बहुत बढ़िया रचना ....वाह

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