अगर मगर विह्वलता जीवन
निर्णय तुरत,सफलता जीवन
अनुभव और चिन्तन की बगिया
जिसमें रोज टहलता जीवन
सार्थक सोच समय पर हो तो
कितना दूर निकलता जीवन
तन-मन मिलना हो मुश्किल जब
किंचित यही विकलता जीवन
खुशी खुशी जब दो दिल मिलते
क्या पुरजोर मचलता जीवन
वह जीवन अनुपम जीवन है
गिर के जहाँ सम्भलता जीवन
सुमन समेटो सारी खुशियाँ
हर पल यहाँ बदलता जीवन
Wednesday, June 8, 2011
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7 comments:
बिल्कुल सही कहा है आपने...... खुशियों को जहाँ तक हो सके समेट लेना चाहिए.
सुमन समेटो सारी खुशियाँ
हर पल यहाँ बदलता जीवन
...वाह!
मिलता रहता सतत रसिक रस,
सुन्दर सरस बहलता जीवन।
बहुत उम्दा ग़ज़ल!
bahut hi sundar rachanaa
bahut hi sundar rachanaa
बहुत बढ़िया रचना ....वाह
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