कृपया वीडियो को क्लिक करके सुने - नीचे इसी ग़ज़ल के बोल भी हैं
मेरा जीवन तो शबनम है
आँखों में सूरत हरदम हैतेरे भीतर कितना गम है
देखा दुख जब घर के बाहर
आँख हुई क्यों तेरी नम है
तौल ज़रा औरों के गम से
तेरा गम कितनों से कम है
जितना तेज चमकता सूरज
दुनिया में उतना ही तम है
चाहत मुझको नहीं मलय की
मेरा जीवन तो शबनम है
कब मिल कर के चोट करोगे?
जब कि लोहा अभी गरम है
सुमन भले बदलो, मत तोड़ो
निर्णायक बल में संयम है
9 comments:
वाह सुमन जी ....आप तो छुपे रुस्तम हैं .......!
अच्छी ग़ज़ल बधाई सुमन जी
खुबसूरत...पढ़ना भी और आपकी आवाज में सुनना भी
प्यारे और मस्ती भरे हिन्दी एसएमएस
बहुत सुन्दर लगा आपकी आवाज़ में ग़ज़ल सुनकर! उम्दा ग़ज़ल!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
बहुत खूबसूरत गज़ल
जितना तेज चमकता सूरज
दुनिया में उतना ही तम है
सटीक ..
बहुत अच्छा लिखा है जी ऐसे ही लिखते रहे
हमारे कुटिया पर भी दर्शन दे श्री मान
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
सुन्दर गज़ल, बेहतरीन प्रस्तुति।
श्यामल जी नमस्कार, नव वर्ष की हार्दिक बधाई। जितना ही चमके सूरज उतना ही तम है।बहुत ही बढिया गजल है।
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