प्यार के संगीत में हर पल नयी दीवानगी है
सुन वही संगीत फिर से क्या कोई वीरानगी है
इश्क पर बातें बहुत हैं और भी होती रहेंगी
जिन्दगी में इश्क के संग इक गज़ब की तिश्नगी है
जब खुशी से दिल मिलेंगे तिश्नगी मिट जाएगी
तोड़ सारे बन्धनों को आ मिलो ये बंदगी है
दिन को छोडो रात में नित आ रही सपनों में तू
प्यास मिट जाये तो प्यासे की सलामत जिन्दगी है
एक विनती है यही बस अब सुमन को अंग भर ले
सिलसिला फिर से शुरू हो व्यर्थ की संजीदगी है
Tuesday, June 14, 2011
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4 comments:
bahut badhiya suman ji.har rachna laajwaab hai.badhaai.
बहुत सुन्दर गज़ल्।
जब खुशी से दिल मिलेंगे तिश्नगी मिट जाएगी
तोड़ सारे बन्धनों को आ मिलो ये बंदगी है..
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल...
वाह, बेहतरीन।
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