कृपया वीडियो को क्लिक करके सुने - नीचे इसी ग़ज़ल के बोल भी हैं
आईना से बहाना क्यूँ है
यकीन टूटते हर पल ये जमाना क्यूँ है?खुशी से दूर ये दुनिया फिर सजाना क्यूँ है?
सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?
धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगों को नित गंगा नहाना क्यूँ है?
इस कदर खोये हैं अपने में कौन सुनता है?
कहीं पे चीख तो कहीं पे तराना क्यूँ है?
बुराई कितनी सुमन में कभी न गौर किया
ऊँगलियाँ उठती हैं दूजे पे निशाना क्यूँ है?
9 comments:
धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगों को नित गंगा नहाना क्यूँ है?
बहुत सुन्दर गज़ल
सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?..
बहुत ख़ूबसूरत गज़ल..
kamal hai ji
जानते हैं कि दगा दे के निकल लेगी,
ऐसी वेवफा को घर में बसाना क्यूँ है।
यकीन टूटते हर पल ये जमाना क्यूँ है?
खुशी से दूर ये दुनिया फिर सजाना क्यूँ है?
सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?
ग़ज़ल का हर शेर लाजवाब है !
अपने स्वर में सुनाने के लिए शुक्रिया !
bahut khoobsoorti se vyang aur dil ki baat kahi hai ...aavaaj theek se dab nahi ho paaee hai ...sun nahi paa rahe ..
इस कदर खोये हैं अपने में कौन सुनता है?
कहीं पे चीख तो कहीं पे तराना क्यूँ है?
बुराई कितनी सुमन में कभी न गौर किया
ऊँगलियाँ उठती हैं दूजे पे निशाना क्यूँ है?
...बहुत सुन्दर रचना...आभार
सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?
हर शेर लाजवाब है....!
सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?..
क्या खूब ..
हर शेर लाजवाब है....!
Post a Comment