बहुत दिनों के बाद सुहानी रात हुई
दिन गरमी के खतम हुए बरसात हुई
रिमझिम की धुन में कोई संगीत बजे
शादी मौसम की बूँदें बारात हुई
इस मौसम में दूर से प्रीतम आ जाये
मानो सच ये विरहन की सौगात हुई
नव-जीवन संकेत फुहारें सावन की
मिलन जीत है और जुदाई मात हुई
आओ मिलकर भींगें दोनों बारिश में
सुमन मधुप का मेल नयी क्या बात हुई
Saturday, June 18, 2011
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अन्ध-भक्ति है रोग
छुआछूत से कब हुआ, देश अपन ये मुक्त? जाति - भेद पहले बहुत, अब VIP युक्त।। धर्म सदा कर्तव्य ह...
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गन्दा फिर तालाब
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मगर बेचना मत खुद्दारी
यूँ तो सबको है दुश्वारी एक तरफ मगर बेचना मत खुद्दारी एक तरफ जाति - धरम में बाँट रहे जो लोगों को वो करते सचमुच गद्दारी एक तरफ अक्सर लो...
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लेकिन बात कहाँ कम करते
मैं - मैं पहले अब हम करते लेकिन बात कहाँ कम करते गंगा - गंगा पहले अब तो गंगा, यमुना, जमजम करते विफल परीक्षा या दुर्घटना किसने देखा वो...
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विश्व की महान कलाकृतियाँ-
11 comments:
नव-जीवन संकेत फुहारें सावन की
मिलन जीत है और जुदाई मात हुई
खूबसूरत गज़ल ..
"नव-जीवन संकेत फुहारें सावन की
मिलन जीत है और जुदाई मात हुई"
क्या बात है सुमन जी......यों तो हर शेर अपने आप में बेहतरीन है ....पर यह लाजवाब है !!
मौसम के बदलते हुए आनदाज को आपने बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में ढाल दिया है ...शुभकामनायें
रिमझिम की धुन में कोई संगीत बजे
शादी मौसम की बूँदें बारात हुई
इस मौसम में दूर से प्रीतम आ जाये
मानो सच ये विरहन की सौगात हुई...
वाह! बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! लाजवाब ग़ज़ल!
बहुत सुन्दर भीगी भीगी सी गज़ल्।
बारिश की फुहारों के बीच आपकी गजल...बहुत खूबसूरत
हंसी के फव्वारे में- हाय ये इम्तहान
यह रिमझिम मुग्ध कर दे सबका अस्तित्व।
आपकी यह ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी।
--
पितृ-दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
waah ......shbdon ki bocharen bhi khas hui....
बस ...
हम तो भीग गए...!
सुन्दर
अति सुन्दर....!!
एक दृष्टि मौसमी खुमार की,
एक गन्ध चन्दनी बयार की।
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