Saturday, June 18, 2011

और जुदाई मात हुई

बहुत दिनों के बाद सुहानी रात हुई
दिन गरमी के खतम हुए बरसात हुई

रिमझिम की धुन में कोई संगीत बजे
शादी मौसम की बूँदें बारात हुई

इस मौसम में दूर से प्रीतम आ जाये
मानो सच ये विरहन की सौगात हुई

नव-जीवन संकेत फुहारें सावन की
मिलन जीत है और जुदाई मात हुई

आओ मिलकर भींगें दोनों बारिश में
सुमन मधुप का मेल नयी क्या बात हुई

11 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

नव-जीवन संकेत फुहारें सावन की
मिलन जीत है और जुदाई मात हुई

खूबसूरत गज़ल ..

Kusum Thakur said...

"नव-जीवन संकेत फुहारें सावन की
मिलन जीत है और जुदाई मात हुई"

क्या बात है सुमन जी......यों तो हर शेर अपने आप में बेहतरीन है ....पर यह लाजवाब है !!

Pallavi saxena said...

मौसम के बदलते हुए आनदाज को आपने बहुत ही खूबसूरती से शब्दों में ढाल दिया है ...शुभकामनायें

Urmi said...

रिमझिम की धुन में कोई संगीत बजे
शादी मौसम की बूँदें बारात हुई
इस मौसम में दूर से प्रीतम आ जाये
मानो सच ये विरहन की सौगात हुई...
वाह! बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! लाजवाब ग़ज़ल!

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भीगी भीगी सी गज़ल्।

Ruchika Sharma said...

बारिश की फुहारों के बीच आपकी गजल...बहुत खूबसूरत

हंसी के फव्‍वारे में- हाय ये इम्‍तहान

प्रवीण पाण्डेय said...

यह रिमझिम मुग्ध कर दे सबका अस्तित्व।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी यह ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी।
--
पितृ-दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

waah ......shbdon ki bocharen bhi khas hui....

***Punam*** said...

बस ...
हम तो भीग गए...!

सुन्दर
अति सुन्दर....!!

neela said...

एक दृष्टि मौसमी खुमार की,
एक गन्ध चन्दनी बयार की।

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