मेरे महबूब को मुझसे है शिकायत कैसी
बात कह दो वही, बातों में किफायत कैसी
उतर जा दिल में मेरे, आँख के रस्ते आ जा
प्यार में छिपने छिपाने की रवायत कैसी
तेरे दीदार को दिन रात तरसता कोई
चुराया अक्स मिली खुशियाँ निहायत कैसी
बहुत कठिन है कसक दिल में छुपाये रखना
करो इकरार जुबां से है हिदायत कैसी
जुल्फ हटते ही सुमन खो गया रुखसारों में
हुस्न पे इश्क का मरना है इनायत कैसी
बात कह दो वही, बातों में किफायत कैसी
उतर जा दिल में मेरे, आँख के रस्ते आ जा
प्यार में छिपने छिपाने की रवायत कैसी
तेरे दीदार को दिन रात तरसता कोई
चुराया अक्स मिली खुशियाँ निहायत कैसी
बहुत कठिन है कसक दिल में छुपाये रखना
करो इकरार जुबां से है हिदायत कैसी
जुल्फ हटते ही सुमन खो गया रुखसारों में
हुस्न पे इश्क का मरना है इनायत कैसी
21 comments:
बहुत कठिन है कसक दिल में छुपाये रखना
करो इकरार जुबां से है हिदायत कैसी
कैसे खोलूँ उस पल्लू की गाँठ को
मेरे जीवन की दास्तान बंधी हुई हैं
बहुत कठिन है कसक दिल में छुपाये रखना
करो इकरार जुबां से है हिदायत कैसी
बहुत खूबसूरत गज़ल ..
निहायत उम्दा गज़ल ......
उतर जा दिल में मेरे, आँख के रस्ते आ जा
प्यार में छुपने छुपाने की रवायत कैसी
KHUBSURAT GAJAL...
JAI HIND JAI BHARAT
कसक सेभरी पंक्तियाँ।
Bahut hi behtreen Gazal...
nice...
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 01-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ
सच में शिकायत कैसी हो सकती है इतनी खुबसूरत ग़ज़ल पढने के बाद....
बहुत ही उम्दा ग़ज़ल....
सादर...
nice...
khubsurat si gazal...
wah bahut khubsurat gajal hai..
बहुत ही बढ़िया सर।
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कल 08/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
बहुत सुंदर॥
waah sir j padh kar maja aa gayaa sare sher lajaw poori ghazal lajawab
कई जिस्म और एक आह!!!
तेरे दीदार को दिन रात तरसता कोई
चुराया अक्स मिली खुशियाँ निहायत कैसी
TERE PYAR KAA AASRA
TADAFTA HAI DIN RAT
TOO KHUD HEE SAMJH
MERE MN KEE BAAT
shyamal jee
chirnjeev bhavah
बहुत कठिन है कसक दिल में छुपाये रखना
करो इकरार जुबां से है हिदायत कैसी
bahoot sunder gjl kahen yaa kavita shbdon kaa mel ekdam steek
Really heart touching lines and truly i love this write up. Thanks a lot for sharing.
जब चलेँ जाते है वो मेरे गाँव से,
धुप लगती है हमको घने छाँव से ।
निहायत उम्दा गजल, दिल को छु गई, या योँ कहे कि दिल मेँ समा गई।
बहुत ही खूबसूरती से प्रेम विरह की गजल
तेरी खुशबू को जोर से पुकरा
याद है मुझे उस लम्हें की कयामत
कितने अजीब थे वो मस्ती भरे दिन...
सपने थे आँखों में नये रोज़ दिन...
बातों में हर पल थी शहद सी मिठास..
हमे दूरियों का ना था एहसास...
खेले थे हम हैर पल जिन खिलौने से...
उन खिलौने से फिर खेलने को दिल चाहता है...
आज फिर से रोने को दिल चाहता है...
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