दशकों से चलती सरकार
जनता को छलती सरकार
सैंतालिस से सबके दिल में
आशाएं पलती सरकार
आमजनों का दुख न सुनना
यह तो है गलती सरकार
बहुजन तो भूखे भारत में
आग उदर जलती सरकार
मौज में संसद पर ये जनता
हाथ यहाँ मलती सरकार
Friday, August 26, 2011
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रचना में विस्तार
साहित्यिक बाजार में, अलग अलग हैं संत। जिनको आता कुछ नहीं, बनते अभी महंत।। साहित्यिक मैदान म...
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अन्ध-भक्ति है रोग
छुआछूत से कब हुआ, देश अपन ये मुक्त? जाति - भेद पहले बहुत, अब VIP युक्त।। धर्म सदा कर्तव्य ह...
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गन्दा फिर तालाब
क्या लेखन व्यापार है, भला रहे क्यों चीख? रोग छपासी इस कदर, गिरकर माँगे भीख।। झट से झु...
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मगर बेचना मत खुद्दारी
यूँ तो सबको है दुश्वारी एक तरफ मगर बेचना मत खुद्दारी एक तरफ जाति - धरम में बाँट रहे जो लोगों को वो करते सचमुच गद्दारी एक तरफ अक्सर लो...
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लेकिन बात कहाँ कम करते
मैं - मैं पहले अब हम करते लेकिन बात कहाँ कम करते गंगा - गंगा पहले अब तो गंगा, यमुना, जमजम करते विफल परीक्षा या दुर्घटना किसने देखा वो...
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विश्व की महान कलाकृतियाँ-
5 comments:
श्यामल जी
आशीर्वाद
सैंतालिस से सबके दिल में
आशाएं पलती सरकार\
हृदय विदारक सुंदर गजल
१९४७ के विभाजन के दृश्य आज भी
दशकों से चलती सरकार
जनता को छलती सरकार
बहुत शानदार भईया...
सादर....
सब अपना महत्व सिद्ध करेंगे।
bahut badhiya saargarbhit rachna
सटीक प्रस्तुति
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