भाव प्रायः जिन्दगी के, गीत मेरे कह गए
अनकहे जो रह गए, वो अश्क बनकर बह गए
ख्वाब का सुन्दर महल हर आदमी का ख्वाब है
वैसे महलों की हकीकत, वक्त के संग ढह गए
लोग खुश दिखते हैं अक्सर, दिन बुलंदी के तभी
आदमी वो कीमती जो हँस के गम को सह गए
वक्त के संग हर कदम को जो बढ़ाते वक्त पर
लोग अक्सर वे बढ़े और शेष पीछे रह गए
छूट जाते प्राण जब महबूब जाते दूर को
है गलतफहमी सुमन को, यह गए कि वह गए
अनकहे जो रह गए, वो अश्क बनकर बह गए
ख्वाब का सुन्दर महल हर आदमी का ख्वाब है
वैसे महलों की हकीकत, वक्त के संग ढह गए
लोग खुश दिखते हैं अक्सर, दिन बुलंदी के तभी
आदमी वो कीमती जो हँस के गम को सह गए
वक्त के संग हर कदम को जो बढ़ाते वक्त पर
लोग अक्सर वे बढ़े और शेष पीछे रह गए
छूट जाते प्राण जब महबूब जाते दूर को
है गलतफहमी सुमन को, यह गए कि वह गए
16 comments:
भाव प्रायः जिन्दगी के, गीत मेरे कह गए
अनकहे जो रह गए वो अश्क बनकर बह गए
हजारों ख्वाइशें ऐसी .....
कुछ पूरी हुईं ...कुछ रह गयीं ....
मन का सही चित्रण करती कविता ....
शुभकामनायें ....
pratyek pankti ke liye wah aur
वक्त के संग जो कदम को हैं बढ़ाते वक्त पर लोग अक्सर वे बढ़े और शेष पीछे रह गए ke liye waaaaaaaaaaaaaah....nawawarsh ki shubhakamnaye
अनकहे जो रह गए वो अश्क बनकर बह गए
लाजवाब प्रेम विहल
यही अरमान लेकर आज अपने घर से निकले
तेरा दर हो मेरा सर हो न शिकायत ना आंसूंहों
वाह! बेहद खूबसूरत ग़ज़ल! हर एक शेए'र तारीफ के काबिल है!
श्यामल
आशीर्वाद
बहुत ही सुंदर भावना से भरपूर भावात्मक
शुभ कामनाये
ख्वाब का सुन्दर महल हर आदमी का शौक है
उस महल की ये हकीकत, वक्त के संग ढह गए
मुस्कुराते लोग अक्सर दिन बुलंदी के तभी
आदमी वो कीमती जो हँस के गम को सह गए
वक्त के संग जो कदम को हैं बढ़ाते वक्त पर
लोग अक्सर वे बढ़े और शेष पीछे रह गए
Kya gazab rachana hai! Wah!
भाव बहेंगे, अश्क बहेंगे,
बहते बहते स्वस्थ रहेंगे।
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - सर्दी में स्वास्थ्य का रखें ख्याल - ब्लॉग बुलेटिन
bahut sundar rachna...pyaari gazal...
बहुत खूब.....
बेहतरीन ग़ज़ल..
सराहनीय प्रस्तुति
जीवन के विभिन्न सरोकारों से जुड़ा नया ब्लॉग 'बेसुरम' और उसकी प्रथम पोस्ट 'दलितों की बारी कब आएगी राहुल ...' आपके स्वागत के लिए उत्सुक है। कृपा पूर्वक पधार कर उत्साह-वर्द्धन करें
वक्त के संग जो कदम को हैं बढ़ाते वक्त पर
लोग अक्सर वे बढ़े और शेष पीछे रह गए
गजल __/\__ आंसुयों की मोतियों की माला
सही है इन्सान वही है जो दुःख भी हँस के झेल जाये... सुन्दर भाव
भाव प्रायः जिन्दगी के, गीत मेरे कह गए
लिक्खूँ कैसे गीत गजल सवांद ही मौन हो गए
एक अधूरी आस
bhaavon ki sunder abhivyakti
shubhkamnayen
ख्वाब का सुन्दर महल हर आदमी का शौक है
वैसे महलों की हकीकत, वक्त के संग ढह गए
वाह! बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है!
Post a Comment