कैसा उनका प्यार देख ले
आँगन में दीवार देख ले
दे बेहतर तकरीर प्यार पर
घर में फिर तकरार देख ले
दीप जलाते आँगन में
मगर अंधेरा है मन में
समाधान हरदम बातों से
व्यर्थ पड़े क्यूँ अनबन में
अब के बच्चे आगे हैं
रीति-रिवाज से भागे हैं
संस्कार ही मानवता के
प्राण-सूत्र के धागे हैं
सुन्दर मन काया सुन्दर
ये दुनिया, माया सुन्दर
सभी मसीहा खोज रहे हैं
बस उनकी छाया सुन्दर
मन बच्चों सा हो जाए
सभी बुराई खो जाए
गुजरे जीवन इस प्रवाह में
सुमन अंत में सो जाए
आँगन में दीवार देख ले
दे बेहतर तकरीर प्यार पर
घर में फिर तकरार देख ले
दीप जलाते आँगन में
मगर अंधेरा है मन में
समाधान हरदम बातों से
व्यर्थ पड़े क्यूँ अनबन में
अब के बच्चे आगे हैं
रीति-रिवाज से भागे हैं
संस्कार ही मानवता के
प्राण-सूत्र के धागे हैं
सुन्दर मन काया सुन्दर
ये दुनिया, माया सुन्दर
सभी मसीहा खोज रहे हैं
बस उनकी छाया सुन्दर
मन बच्चों सा हो जाए
सभी बुराई खो जाए
गुजरे जीवन इस प्रवाह में
सुमन अंत में सो जाए
9 comments:
वाह..........
बेहद निर्मल कोमल सी रचना.............
सादर.
मन बच्चों सा हो जाए
सभी बुराई खो जाए
गुजरे जीवन इस प्रवाह में
सुमन अंत में सो जाए
बहुत सुंदर भाव लिए हुये .... बच्चे जैसा कहाँ कोई मासूम रह पाता है
श्यामल \
आशीर्वाद
दीप जलाते आँगन में
मगर अंधेरा है मन में
अति सुंदर मन को छूती कविता
कैसा उनका प्यार देख ले
आँगन में दीवार देख ले
दे बेहतर तकरीर प्यार पर
फिर उनका तकरार देख ले
.........अपने बहुत सहजता से समझा दिया
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति है !!!
बच्चों सा मन, बच्चों सी नींद..
बहुत सुंदर भाव लिए कोमल रचना.............
बहुत सुंदर भाव लिए कोमल रचना.............
मन बच्चों सा हो जाए
सभी बुराई खो जाए----- अच्छे, सुन्दर भाव हैं...पर भाव क्या करें..
---अब के बच्चे आगे हैं
---रीति-रिवाज से भागे हैं....सुन्दर...
---कुछ असंयमित भाव भी हैं...यथा..
है आसान उन्हीं का जीवन
प्यार खोज ले सौतन में
मन बच्चों सा हो जाए
सभी बुराई खो जाए
गुजरे जीवन इस प्रवाह में
सुमन अंत में सो जाए,...
बहुत सुंदर सरल कोमल रचना...बेहतरीन पोस्ट के लिए, श्यामल जी... बहुत२ बधाई,...
आपका समर्थक बन गया हूँ आपभी बने मुझे खुशी होगी,.....
मेरे पोस्ट में आपका स्वागत है आइये
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
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