Monday, April 16, 2012

कुछ लोगों की फितरत है

मान बढ़ाकर, मान घटाना, कुछ लोगों की फितरत है
कारण तो बस अपना मतलब, जो काबिले नफ़रत है

गलती का कठपुतला मानव, भूल सभी से हो सकती
गौर नहीं करते कुछ इस पर, कुछ की खातिर इबरत है

आज सदारत जो करते हैं, दूर सदाकत से दिखते
बढ़ती मँहगाई को कहते, गठबन्धन की उजरत है

कुछ पानी बिन प्यासे रहते, कुछ पानी में डूब रहे
किसे फिक्र है इन बातों की, ये पेशानी कुदरत है

जागो सुमन सभी मिलकर के, बदलेंगे हालात तभी
फिर आगे ऐसा करने की, नहीं किसी की जुर्रत है

इबरत - नसीहत, बुरे काम से शिक्षा
उजरत - बदला, एवज में
पेशानी - किस्मत

6 comments:

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत बढ़िया..........
अर्थपूर्ण गज़ल.............

RITU BANSAL said...

सुन्दर तरीके से कही सटीक बात !
kalamdaan

DR. ANWER JAMAL said...

Nice .

See

http://blogkikhabren.blogspot.com/2012/04/39-nirmal-baba-ki-tisri-aankh-sex-life.html

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन गजल ...

MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

Pratik Maheshwari said...

सब लोगों की फितरत के ही खेल है..
किसी बात को कोई किसी ढंग से लेगा और कोई और किसी और ढंग से..
सब अपना अपना खेल खेलेंगे..

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद

गलती का कठपुतला मानव, भूल सभी से हो सकती
गौर नहीं करते कुछ इस पर, कुछ की खातिर इबरत है

बहुत सच्चाई की कड़वडाहट का लेखा

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