मान बढ़ाकर, मान घटाना, कुछ लोगों की फितरत है
कारण तो बस अपना मतलब, जो काबिले नफ़रत है
गलती का कठपुतला मानव, भूल सभी से हो सकती
गौर नहीं करते कुछ इस पर, कुछ की खातिर इबरत है
आज सदारत जो करते हैं, दूर सदाकत से दिखते
बढ़ती मँहगाई को कहते, गठबन्धन की उजरत है
कुछ पानी बिन प्यासे रहते, कुछ पानी में डूब रहे
किसे फिक्र है इन बातों की, ये पेशानी कुदरत है
जागो सुमन सभी मिलकर के, बदलेंगे हालात तभी
फिर आगे ऐसा करने की, नहीं किसी की जुर्रत है
इबरत - नसीहत, बुरे काम से शिक्षा
उजरत - बदला, एवज में
पेशानी - किस्मत
Monday, April 16, 2012
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6 comments:
बहुत बढ़िया..........
अर्थपूर्ण गज़ल.............
सुन्दर तरीके से कही सटीक बात !
kalamdaan
Nice .
See
http://blogkikhabren.blogspot.com/2012/04/39-nirmal-baba-ki-tisri-aankh-sex-life.html
बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,बेहतरीन गजल ...
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
सब लोगों की फितरत के ही खेल है..
किसी बात को कोई किसी ढंग से लेगा और कोई और किसी और ढंग से..
सब अपना अपना खेल खेलेंगे..
श्यामल
आशीर्वाद
गलती का कठपुतला मानव, भूल सभी से हो सकती
गौर नहीं करते कुछ इस पर, कुछ की खातिर इबरत है
बहुत सच्चाई की कड़वडाहट का लेखा
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