वक्त से टकरा सके तो, जिन्दगी श्रृंगार है
वक्त खुशियाँ वक्त पर दे, वक्त ही दीवार है
वक्त कितना वक्त देता, वक्त की पहचान हो
वक्त मरहम जो समय पर, वक्त ही अंगार है
वक्त से आगे निकलकर, सोचते जो वक्त पर
वक्त के इस रास्ते पर, फूल और तलवार है
क्या है कीमत वक्त की, जो चूकते, वो जानते
वक्त उलझन दे कभी तो, वक्त पर उद्धार है
वक्त होता क्या किसी का, चाल अपनी वक्त की
चल सुमन उस चाल में तो, खार में भी प्यार है
वक्त खुशियाँ वक्त पर दे, वक्त ही दीवार है
वक्त कितना वक्त देता, वक्त की पहचान हो
वक्त मरहम जो समय पर, वक्त ही अंगार है
वक्त से आगे निकलकर, सोचते जो वक्त पर
वक्त के इस रास्ते पर, फूल और तलवार है
क्या है कीमत वक्त की, जो चूकते, वो जानते
वक्त उलझन दे कभी तो, वक्त पर उद्धार है
वक्त होता क्या किसी का, चाल अपनी वक्त की
चल सुमन उस चाल में तो, खार में भी प्यार है
9 comments:
बहुत सुन्दर ग़ज़ल !
kalamdaan
श्यामल
आशीर्वाद
वक्त कितना वक्त देता, वक्त की पहचान हो
वक्त मरहम जो समय पर, वक्त ही अंगार है
आपकी लेखनी नहीं एक जलती मशाल है
जीवन के दुखी भावों का विशाल भण्डार है
संबंधों का स्वाद खट्टा मीठा होता है, खारा भी हो जाता है कभी भी।
बहुत खूब..............
क्या है कीमत वक्त की, जो चूकते, वो जानते
वक्त उलझन जिन्दगी की, वक्त से उद्धार है
very nice...
anu
वाह वाह!
क्या बेहतरीन परिभाषित किया है वक़्त को..
खार नहीं तो प्यार का एहसास भी नहीं
सुन्दर गज़ल
खार नहीं तो प्यार का एहसास भी नहीं
सुन्दर गज़ल
खार नहीं तो प्यार का एहसास भी नहीं
सुन्दर गज़ल
sunder bahv
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