सबसे पहले हम पहुँचे।
हो करके बेदम पहुँचे।
हर चैनल में होड़ मची है,
दिखलाने को गम पहुँचे।
सब कहने का अधिकार है।
चौथा-खम्भा क्यूँ बीमार है।
गाँव में बेबस लोग तड़पते,
बस दिल्ली का समाचार है।
समाचार हालात बताते।
लोगों के जज्बात बताते।
अंधकार में चकाचौंध है,
दिन को वे क्यों रात बताते?
चौथा - खम्भा दर्पण है।
प्रायः त्याग-समर्पण है।
भटके लोग सुधर जाएं तो,
सुमन-भाव का अर्पण है।
हो करके बेदम पहुँचे।
हर चैनल में होड़ मची है,
दिखलाने को गम पहुँचे।
सब कहने का अधिकार है।
चौथा-खम्भा क्यूँ बीमार है।
गाँव में बेबस लोग तड़पते,
बस दिल्ली का समाचार है।
समाचार हालात बताते।
लोगों के जज्बात बताते।
अंधकार में चकाचौंध है,
दिन को वे क्यों रात बताते?
चौथा - खम्भा दर्पण है।
प्रायः त्याग-समर्पण है।
भटके लोग सुधर जाएं तो,
सुमन-भाव का अर्पण है।
8 comments:
वाह !
प्रतियोगिता पूरे शबाब पर है।
श्यामल
आशीर्वाद
सब कहने का अधिकार है।
चौथा-खम्भा क्यूँ बीमार है।
गाँव में बेबस लोग तड़पते,
बस दिल्ली का समाचार है।
झक झोर झन्नाटेदार
शीला दीक्षीत भी गई हार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपका श्रम सराहनीय है!
बहुत खूब ... समाचार पत्र पर सही कटाक्ष
bahut sundar kataksh dilli ka samachar...vaah
मिडिया का तो हाल है कि,
अरसा हुए अपनी सुरत नहीँ देखी,
सुना है रात मेँ आईना नहीँ देखा करते ।।
.
मिडिया के गिरते स्तर पर बढिया व्यंग्य ।
मिडिया का तो हाल है कि,
अरसा हुए अपनी सुरत नहीँ देखी,
सुना है रात मेँ आईना नहीँ देखा करते ।।
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मिडिया के गिरते स्तर पर बढिया व्यंग्य ।
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