Wednesday, April 18, 2012

बस दिल्ली का समाचार है

सबसे पहले हम पहुँचे।
हो करके बेदम पहुँचे।
हर चैनल में होड़ मची है,
दिखलाने को गम पहुँचे।

सब कहने का अधिकार है।
चौथा-खम्भा क्यूँ बीमार है।
गाँव में बेबस लोग तड़पते,
बस दिल्ली का समाचार है।

समाचार हालात बताते।
लोगों के जज्बात बताते।
अंधकार में चकाचौंध है,
दिन को वे क्यों रात बताते?

चौथा - खम्भा दर्पण है।
प्रायः त्याग-समर्पण है।
भटके लोग सुधर जाएं तो,
सुमन-भाव का अर्पण है।

8 comments:

RITU BANSAL said...

वाह !

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रतियोगिता पूरे शबाब पर है।

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद
सब कहने का अधिकार है।
चौथा-खम्भा क्यूँ बीमार है।
गाँव में बेबस लोग तड़पते,
बस दिल्ली का समाचार है।

झक झोर झन्नाटेदार
शीला दीक्षीत भी गई हार

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपका श्रम सराहनीय है!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूब ... समाचार पत्र पर सही कटाक्ष

Rajesh Kumari said...

bahut sundar kataksh dilli ka samachar...vaah

Unknown said...

मिडिया का तो हाल है कि,
अरसा हुए अपनी सुरत नहीँ देखी,
सुना है रात मेँ आईना नहीँ देखा करते ।।
.
मिडिया के गिरते स्तर पर बढिया व्यंग्य ।

Unknown said...

मिडिया का तो हाल है कि,
अरसा हुए अपनी सुरत नहीँ देखी,
सुना है रात मेँ आईना नहीँ देखा करते ।।
.
मिडिया के गिरते स्तर पर बढिया व्यंग्य ।

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