Thursday, May 24, 2012

नूर अभी तक आँखों में

वर्षों हमने की है मुहब्बत, नूर अभी तक आँखों में
फिर कैसी है आज अदावत, नूर अभी तक आँखों में

कभी दूर ना हम दोनों थे, इक दूजे की बाँहों से
शेष अभीतक वैसी चाहत, नूर अभी तक आँखों में

जीवन में दोनों पहिये का, मान बराबर हो जाए
तब शायद ही कोई शिकायत, नूर अभी तक आँखों में

घर में हों या फिर महफिल में, आँखों से बतियाते हम
समझे इक दूजे की
नीयत, नूर अभी तक आँखों में

ऐसी अनुपम जोड़ी के पथ, सदियों तक हो सदा सुमन
हर साँसों में ख़ास इनायत, नूर अभी तक आँखों में

7 comments:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

जीवन में दोनों पहिये का, मान बराबर हो जाए
तब शायद ही कोई शिकायत, नूर अभी तक आँखों में

बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,,,,,,

MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,

गुड्डोदादी said...

श्यामल आशीर्वाद
घर में हों या फिर महफिल में, आँखों से बतियाते हम
समझे इक दूजे की नीयत, नूर अभी तक आँखों में


बहुत ही गजब का गजल
कोहिनूर हीरा कुछ भी नहीं गजल के आगे

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

ऐसी अनुपम जोड़ी के पथ, सदियों तक हो सदा सुमन
हर साँसों में ख़ास इनायत, नूर अभी तक आँखों में...acchi ghazal sadar badhayee aaur amantran ke sath

प्रवीण पाण्डेय said...

हम तो चाहें बरसें हरदम नूर तुम्हारी आँखों में..

Rajesh Kumari said...

बहुत सुन्दर मखमली ग़ज़ल

रमा शर्मा, जापान said...

वाह नूर अभी तक आँखों में .....

गुड्डोदादी said...

हीर की आँखों में नूर था
रांजा भी प्यार में नहीं दूर था

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