Saturday, May 26, 2012

देखो प्यारे नभ की ओर

जहाँ भावना हो कमजोर।
देखो प्यारे नभ की ओर।।

तारे जहाँ सदा हँसते हैं,
और चमकता चँदा।
जी सकते तो जी लो ऐसे,
छूटेगा हर फंदा।
आग उगलता सूरज फिर भी,
ले आता नित भोर।।
देखो प्यारे ----

नदियों की खुशियाँ तो देखो,
गीत हमेशा गाती है।
हर विरोध के पत्थर को भी,
सँग बहा ले जाती है।
तब उसकी मस्ती बढ़ती जब,
घटा घिरे घनघोर।।
देखो प्यारे ----

भले तोड़ ले कोई सुमन को,
फिर भी वह तो हँसता है।
और सुगंध भी कैद नहीं जो,
हवा के सँग सँग बहता है।
चिड़ियों की कलरव में धुन है,
मत कहना तू शोर।।
देखो प्यारे ----

16 comments:

Rajesh Kumari said...

बहुत ही प्यारा गीत लिखा है श्यामल जी

अजय कुमार झा said...

बहुत खूबसूरत श्यामल भाय , बेहतरीन पंक्तियां ।

विभूति" said...

बेहतरीन अभिव्यक्ति.....

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत सुंदर गीत.....

भले तोड़ ले कोई सुमन को,
फिर भी वह तो हँसता है।
और सुगंध भी कैद नहीं है,
हवा के सँग सँग बहता है।

प्यारे भाव समेटे....

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह सुमन जी बहुत बढ़ि‍या

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह, मन झूम उठा।

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद

आग उगलता सूरज फिर भी,
नित ले आता भोर।।
देखो फिर से नभ की ओर।

जीने की राह उत्साह की शिक्षा प्रद प्रेरणा
बधाई स्वीकार करें

Madhuresh said...

Sundar shabdon se rachi sundar rachna..

Asha Joglekar said...

सुंदर गीत, नदिया के प्रवाह जैसा ।

yashoda Agrawal said...

मनमोहक रचना
सादर

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत बढ़िया सर !

सादर

Brijendra Singh said...

waah...Awesome composition.. Badhayi !!

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत ही सुन्दर रचना...
अति सुन्दर ...

सदा said...

बेहतरीन प्रस्‍तुति।

Anjani Kumar said...

सुन्दर,सरस और लयबद्ध प्रस्तुति
नयी ऊर्जा का सन्चार करती हुई

गुड्डोदादी said...

श्यामल
आशीर्वाद सदा सुखी रहो

भले तोड़ ले कोई सुमन को,
फिर भी वह तो हँसता है।
और सुगंध भी कैद नहीं है,
हवा के सँग सँग बहता है।

कैसे शब्दों को माला पिरो देते हो करीने से ?

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