यूँ सबके हमदम होते हैं
दुख के दिन में कम होते हैं
साथ निभाये जो आफत में
लोग वही मरहम होते हैं
शायर चलता लीक छोड़कर
उसके यही नियम होते हैं
जो टकराते वक्त से जितना
वही असल दमखम होते हैं
जहँ टूटता दिल अपनों से
आँखों में शबनम होते हैं
जैसी फितरत इन्सानों की
वैसे ही मौसम होते हैं
सुमन करे चर्चा औरों की
हर बातों में हम होते हैं
14 comments:
वाह,,,,क्या बात है बहुत सुंदर गजल,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
Waah!!! Behtreen gazal...
सुन्दर प्रस्तुति,
पढकर बहुत अच्छा लगा।
जहँ टूटता दिल अपनों से
आँखों में शबनम होते हैं
घायल
बिन बादल बरसात होते हैं
शायर चलता लीक छोड़कर
उसके यही नियम होते हैं..kya baat hai sumanjee....
भई वाह, पढ़कर आनन्द आ गया।
जो टकराते वक्त से जितना
वही असल दमखम होते हैं
bahut sundar ...
जहँ टूटता दिल अपनों से
आँखों में शबनम होते हैं
जैसी फितरत इन्सानों की
वैसे ही मौसम होते हैं
bahut sunder ....
Bahut hi khubsurat rachna....
कल 08/06/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
हर बातों में हम होते हैं
सुन्दर शुरुवात
ऐसी ही रचनाएँ पढ़वाते रहें
साथ निभाये जो आफत में
लोग वही मरहम होते हैं !
बस.....ऐसे लोग कम होते हैं.....!!
बहुत सुंदर......!!
सचमुच जहाँ टूटता दिल अपनो का , आँखो मेँ शबनम होते हैँ ।
और ये पूरक पँक्ति हिम्मत देती है -
जो टकराते वक्त से जितना . . . . . . . . . . !!
.
एक पँक्ति याद आती है कि -
वो कितना बदनसीब है ,
गम ही जिसे मिला नहीँ ।।
very good
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