देखा मरते हैं कई, जीवन में सौ बार।
जीते जो रहते सदा, मरने को तैयार।।
वश में उनके चँदनी, है जिनमें जज्बात।
कुछ ऐसे भी लोग जो, भूले निज औकात।।
पागलपन है लोग मे, हों कैसे धनवान।
गला काटने के लिए, तत्पर हैं श्रीमान।।
मानवता घुटती यहाँ, नहीं किसी को चैन।
चेहरे पर मुस्कान है, और भींगते नैन।।
आँखों में दिखते नहीं, सम्वेदन के भाव।
भौतिकता की दौड़ का, यह विपरीत प्रभाव।।
मोल नहीं सम्बन्ध का, टूट रहा परिवार।
विश्व-ग्राम की चासनी, बना आज श्रृंगार।।
देख चमक है ऊपरी, भीतर भरा तनाव।
चेत सुमन यह वक्त है, कर ले सही चुनाव।।
जीते जो रहते सदा, मरने को तैयार।।
वश में उनके चँदनी, है जिनमें जज्बात।
कुछ ऐसे भी लोग जो, भूले निज औकात।।
पागलपन है लोग मे, हों कैसे धनवान।
गला काटने के लिए, तत्पर हैं श्रीमान।।
मानवता घुटती यहाँ, नहीं किसी को चैन।
चेहरे पर मुस्कान है, और भींगते नैन।।
आँखों में दिखते नहीं, सम्वेदन के भाव।
भौतिकता की दौड़ का, यह विपरीत प्रभाव।।
मोल नहीं सम्बन्ध का, टूट रहा परिवार।
विश्व-ग्राम की चासनी, बना आज श्रृंगार।।
देख चमक है ऊपरी, भीतर भरा तनाव।
चेत सुमन यह वक्त है, कर ले सही चुनाव।।
11 comments:
पागलपन है लोग मे, हों कैसे धनवान।
गला काटने के लिए, तत्पर हैं श्रीमान।।
वह कैसा धनवान जो रक्खे ना किसी का ध्यान
चेहरे पर मुस्कान...और भीगते नैन......
सुन्दर भाव
सादर.
बिना सही चुनाव जीवन नीरस हो जाता है..
आँखों में दिखते नहीं, सम्वेदन के भाव।
भौतिकता की दौड़ का, यह विपरीत प्रभाव।।
गहन अर्थ लिये है आज की रचना श्यामल जी ...बिल्कुल सच्चाई लिखि है ...
शुभकामनायें
वाह बहुत बढ़िया सुमन जी
वश में उनके चँदनी, है जिनमें जज्बात।
कुछ ऐसे भी लोग जो, भूले निज औकात।।
पागलपन है लोग मे, हों कैसे धनवान।
गला काटने के लिए, तत्पर हैं श्रीमान।।
बेहतरीन अभिव्यक्ति सुंदर रचना,,,,, ,
MY RECENT POST,,,,काव्यान्जलि ...: ब्याह रचाने के लिये,,,,,
क्या बात है!!
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि का लिंक दिनांक 11-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगा। सादर सूचनार्थ
क्या बात है!!
आपके इस सुन्दर प्रविष्टि का लिंक दिनांक 11-06-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगा। सादर सूचनार्थ
वाह बहुत बढ़िया..... जी
मानवता घुटती यहाँ, नहीं किसी को चैन।
चेहरे पर मुस्कान है, और भींगते नैन।।
सुन्दर सर....
सादर.
इस सप्ताह की कविता कहाँ
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