आस लिए मन में बहुत, बहन मिलेगी आज।
मिला पत्र न आऊँगी, उसे बहुत हैं काज।।
बहन सामने हो अगर, तब राखी अनमोल।
सुन्दर टीका भाल पे, और प्यार के बोल।।
ईश्वर के इन्साफ पर, कभी कभी है क्रोध।
बहन सहोदर ना मिली, यह जब होता बोध।।
भ्रात-बहिन के प्यार का, यह अनुपम त्योहार।
मिल ना पाते हैं कई, हो कर के लाचार।।
आँखें नम होतीं गयीं, सुमन बहुत मजबूर।
राखी के दिन क्यों भला, भ्रात-बहिन से दूर।।
मिला पत्र न आऊँगी, उसे बहुत हैं काज।।
बहन सामने हो अगर, तब राखी अनमोल।
सुन्दर टीका भाल पे, और प्यार के बोल।।
ईश्वर के इन्साफ पर, कभी कभी है क्रोध।
बहन सहोदर ना मिली, यह जब होता बोध।।
भ्रात-बहिन के प्यार का, यह अनुपम त्योहार।
मिल ना पाते हैं कई, हो कर के लाचार।।
आँखें नम होतीं गयीं, सुमन बहुत मजबूर।
राखी के दिन क्यों भला, भ्रात-बहिन से दूर।।
5 comments:
बन्धन का त्योहार है..
dadi - seconds ago - Friends
omment On:मनोरमा
"यह अनुपम त्योहार"
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आस लिए मन में बहुत, बहन मिलेगी आज।
मिला पत्र न आऊँगी, आगे बहुत हैं काज।।
बहन सामने हो अगर, तब राखी अनमोल।
सुन्दर टीका माथ में, और प्यार के बोल।।
ईश्वर के इन्साफ पर, कभी कभी है क्रोध।
बहन सहोदर न मिली, होता यह भी बोध।।
भाइ बहन के प्यार का, यह अनुपम त्योहार।
मिल ना पाते हैं कई, हो कर के लाचार।।
आँखें नम होतीं गयीं, सुमन बहुत मजबूर।
राखी के दिन क्यों भला, भाइ बहन से दूर।।
माता पिता कहते थे
काकी भाई की कलाई सजा आज है राखी
बहुत हूँ दूर राखी बांधने पर मजबूर
आँखें नम होतीं गयीं, सुमन बहुत मजबूर
राखी के दिन क्यों भला, भाइ बहन से दूर,,,,
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ,,,बधाई,,,,
रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
बहुत सुन्दर............
पर्व की शुभकामनाएं.
अनु
बहुत सुन्दर
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