आमजनों के शुभचिंतक का, दिल्ली में तकरार देखिये
लेकिन सच कि अपना अपना, करते हैं व्यापार देखिये
होड़ मची बस दिखलाने की, है कमीज मेरी उजली
पर मुश्किल कि समझ रहे सब, है कुर्सी की मार देखिये
एक है मुद्दा पर ये कैसे, मंचन करते अलग अलग
राज्य, केंद्र में चला रहे हैं, ये कैसी सरकार देखिये
समाचार की हर सूर्खी में, कैसे नाम मेरा आए
लगे हुए सब अपने ढंग से, रजनीति बीमार देखिये
सहनशीलता ख़तम हो रही, उबल रहे हैं सभी सुमन
क्यों ना मिलकर सब सोचें कि, कैसे हो उद्धार देखिये
लेकिन सच कि अपना अपना, करते हैं व्यापार देखिये
होड़ मची बस दिखलाने की, है कमीज मेरी उजली
पर मुश्किल कि समझ रहे सब, है कुर्सी की मार देखिये
एक है मुद्दा पर ये कैसे, मंचन करते अलग अलग
राज्य, केंद्र में चला रहे हैं, ये कैसी सरकार देखिये
समाचार की हर सूर्खी में, कैसे नाम मेरा आए
लगे हुए सब अपने ढंग से, रजनीति बीमार देखिये
सहनशीलता ख़तम हो रही, उबल रहे हैं सभी सुमन
क्यों ना मिलकर सब सोचें कि, कैसे हो उद्धार देखिये
9 comments:
बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
एक वोट पाने को करते अभिनय का आकार देखिये,
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बृहस्पतिवार (06-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
अध्यापकदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
khoobsurat rachna..
सेकुलर सेकुलर भजतें हैं सब ,है कैसा उन्माद देखिये,
आरक्षण सब खेल खेलते वोटों का अंजाम देखिए .
रवानी लिए हुए है यह गजल आपकी पढने वाला भी कुछ पढ़ते पढ़ते घसीट जाए .बहुत शानदार व्यंजना है कुर्सी राज की .कुर्सी प्रधान देश की .
होड़ मची बस दिखलाने की, है कमीज मेरी उजली
पर मुश्किल कि समझ रहे सब, है कुर्सी की मार देखिये
व्यंग्यात्मक विहल
लेखनी को पुरूस्कार मिलने की राह देखिये
बेहतरीन रचना :)
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हिंदी टायपिंग टूल हमेशा रखें कमेंट बॉक्स के पास
सही कहा ....
अब घर बैठ केवल उबलते रहने भर से न होगा..
झकझोरती इस प्रभावपूर्ण रचना के लिए आपका आभार..
आमजनों के शुभचिंतक का, दिल्ली में तकरार देखिये
लेकिन सच कि अपना अपना, करते हैं व्यवसाय देखिये
होड़ मची बस दिखलाने की, है कमीज मेरी उजली
पर मुश्किल कि समझ रहे सब, है कुर्सी की मार देखिये
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