Tuesday, November 6, 2012

मौत के बाद है असल जीवन

मेरे घर में मेरा पसीना है
लगे हर ईंट में नगीना है
भले पानी टपक रहा छत से
जिन्दगी लड़के सुमन जीना है

मौत से प्यार करना सीख जरा
और जीवन से लड़ना सीख जरा
मौत के बाद है असल जीवन
होश में जी के मरना सीख जरा

कौन किसका रखे खयाल यहाँ
जिसको पूछो वही बेहाल यहाँ
फिर भी कैसे सुमन सामाजिक है
नहीं उठता कभी सवाल यहाँ

भला अपनों पे क्युँ बहम करना
नहीं दूजे पे तुम सितम करना
कोई गिरता है तो सम्भाल सुमन
पर गुजारिश है ना रहम करना

7 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुंदर अभिव्यक्ति ... जीवन को एक दिशा देती हुई रच्न ।

प्रवीण पाण्डेय said...

मरने के पहले जीना तो सीखना ही होगा।

रविकर said...

ईंट रेट सीमेंट को, मिला पसीना खून ।

चुन चुन कर चुनवा दिया, हो मजबूती दून ।

हो मजबूती दून, बैठ पूजा पर माता ।

पिता पढ़ें अखबार, उन्हें दालान सुहाता ।

पत्नी ड्राइंग रूम , सीढ़ियाँ चढ़ते बच्चे ।

गृह प्रवेश की धूम, इरादे अच्छे सच्चे ।।

DR. ANWER JAMAL said...

मौत के बाद है असल जीवन.

Right.

रविकर said...

उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

आज लिंक लिक्खाड़ पर

450 वीं

पोस्ट

रविकर said...

उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

आज लिंक लिक्खाड़ पर

450 वीं

पोस्ट

सुज्ञ said...

भला अपनों पे क्युँ बहम करना
नहीं दूजे पे तुम सितम करना
कोई गिरता है तो सम्भाल सुमन
पर गुजारिश है ना रहम करना

यथार्थ!!

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