मेरे घर में मेरा पसीना है
लगे हर ईंट में नगीना है
भले पानी टपक रहा छत से
जिन्दगी लड़के सुमन जीना है
मौत से प्यार करना सीख जरा
और जीवन से लड़ना सीख जरा
मौत के बाद है असल जीवन
होश में जी के मरना सीख जरा
कौन किसका रखे खयाल यहाँ
जिसको पूछो वही बेहाल यहाँ
फिर भी कैसे सुमन सामाजिक है
नहीं उठता कभी सवाल यहाँ
भला अपनों पे क्युँ बहम करना
नहीं दूजे पे तुम सितम करना
कोई गिरता है तो सम्भाल सुमन
पर गुजारिश है ना रहम करना
लगे हर ईंट में नगीना है
भले पानी टपक रहा छत से
जिन्दगी लड़के सुमन जीना है
मौत से प्यार करना सीख जरा
और जीवन से लड़ना सीख जरा
मौत के बाद है असल जीवन
होश में जी के मरना सीख जरा
कौन किसका रखे खयाल यहाँ
जिसको पूछो वही बेहाल यहाँ
फिर भी कैसे सुमन सामाजिक है
नहीं उठता कभी सवाल यहाँ
भला अपनों पे क्युँ बहम करना
नहीं दूजे पे तुम सितम करना
कोई गिरता है तो सम्भाल सुमन
पर गुजारिश है ना रहम करना
7 comments:
सुंदर अभिव्यक्ति ... जीवन को एक दिशा देती हुई रच्न ।
मरने के पहले जीना तो सीखना ही होगा।
ईंट रेट सीमेंट को, मिला पसीना खून ।
चुन चुन कर चुनवा दिया, हो मजबूती दून ।
हो मजबूती दून, बैठ पूजा पर माता ।
पिता पढ़ें अखबार, उन्हें दालान सुहाता ।
पत्नी ड्राइंग रूम , सीढ़ियाँ चढ़ते बच्चे ।
गृह प्रवेश की धूम, इरादे अच्छे सच्चे ।।
मौत के बाद है असल जीवन.
Right.
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
आज लिंक लिक्खाड़ पर
450 वीं
पोस्ट
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
आज लिंक लिक्खाड़ पर
450 वीं
पोस्ट
भला अपनों पे क्युँ बहम करना
नहीं दूजे पे तुम सितम करना
कोई गिरता है तो सम्भाल सुमन
पर गुजारिश है ना रहम करना
यथार्थ!!
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