कैसा अजीब रिश्ता, व्यवहार देखिये
लड़ते हैं, झगड़ते हैं मगर प्यार देखिये
रहते नहीं जुदा ये कभी बात मजे की
दिल में है प्यार, बाहर तकरार देखिये
बाहर में कहे शौहर इक शेर है वही
जाते ही घर में बनते सियार देखिये
समझौता हुआ ऐसा बेगम से काम का
बर्तन भी साफ करने को लाचार देखिये
तफरीह नहीं होतीं भारत में शादियाँ
इक दूजे पे है प्यार का अधिकार देखिये
बनते हैं पुल बच्चे मिल जाते किनारे
जीने के सिलसिले का संसार देखिये
मिलती है नयी ताजगी काँटों की सेज पर
हर हाल में सुमन है स्वीकार देखिये
लड़ते हैं, झगड़ते हैं मगर प्यार देखिये
रहते नहीं जुदा ये कभी बात मजे की
दिल में है प्यार, बाहर तकरार देखिये
बाहर में कहे शौहर इक शेर है वही
जाते ही घर में बनते सियार देखिये
समझौता हुआ ऐसा बेगम से काम का
बर्तन भी साफ करने को लाचार देखिये
तफरीह नहीं होतीं भारत में शादियाँ
इक दूजे पे है प्यार का अधिकार देखिये
बनते हैं पुल बच्चे मिल जाते किनारे
जीने के सिलसिले का संसार देखिये
मिलती है नयी ताजगी काँटों की सेज पर
हर हाल में सुमन है स्वीकार देखिये
14 comments:
बहुत उम्दा गज़ल
बहुत सराहनीय प्रस्तुति. आभार. बधाई आपको
बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई.
बेहतर लेखन !!
बेहतर लेखन !!
ज़िन्दगी अजीब है,
गुज़र जाये तो अच्छा है।
बेहद सुंदर और उम्दा गजल
खुबसूरत अभिवयक्ति......
सादर निमंत्रण,
अपना बेहतरीन ब्लॉग हिंदी चिट्ठा संकलक में शामिल करें
कैसा अजीब रिश्ता, व्यवहार देखिये
लड़ते हैं, झगड़ते हैं मगर प्यार देखिये
सुरूचिपूर्ण गजल
(तकरार,लाचार अधिकार के साथ संसार )
बढ़िया ग़ज़ल
बहुत सुंदर ...बधाई .आप भी पधारो
http://pankajkrsah.blogspot.com
स्वागत है
बेहतरीन गजल
सादर
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
ब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...
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