दिल में अरमान जल रहे कितने
नए सपने भी पल रहे कितने
देख गिरगिट ने खुदकुशी कर ली
रंग इन्सां बदल रहे कितने
यूँ तो अपनों के बीच रहते हम
फिर भी आँसू निकल रहे कितने
चाँद पाने की दिल में ख्वाहिश ले
चाँद जैसे बदल रहे कितने
हजारों दोस्त मिलेंगे सिर्फ कहने को
दुख के दिन में असल रहे कितने
मौत परिचय बताती जीवन का
कोई जी कर सफल रहे कितने
इस हकीकत से रू-ब-रू है सुमन
हाल बदले, ऊबल रहे कितने
नए सपने भी पल रहे कितने
देख गिरगिट ने खुदकुशी कर ली
रंग इन्सां बदल रहे कितने
यूँ तो अपनों के बीच रहते हम
फिर भी आँसू निकल रहे कितने
चाँद पाने की दिल में ख्वाहिश ले
चाँद जैसे बदल रहे कितने
हजारों दोस्त मिलेंगे सिर्फ कहने को
दुख के दिन में असल रहे कितने
मौत परिचय बताती जीवन का
कोई जी कर सफल रहे कितने
इस हकीकत से रू-ब-रू है सुमन
हाल बदले, ऊबल रहे कितने
23 comments:
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
बहुत ही सुन्दर प्रभावी रचना,सादर आभार.
"जानिये: माइग्रेन के कारण और निवारण"
हजारों दोस्त मिलेंगे सिर्फ कहने को
दुख के दिन में असल रहे कितने
नमस्कार श्यामल सुमन जी ... दुबई में आप से मिल के बहुत अच्छा लगा .. वो शाम अपने यादगार कर दी ... आशा है आप कुशल से होंगे ...
रंग बदलते मित्र, व्यंग्य, केवल मृत्यु के बस का सफलता चित्र...
एक ही कविता की पंक्ति में बुने, विस्तृत विलग विचार कितने.
कभी कविता विचार के मनकों को बाँधने वाली डोर है,
और कभी अंतर्मन को झंझोड़कर बिखेरने वाली धार है.
बहुत संुदर रचना...
आपकी यह प्रस्तुति कल के चर्चा मंच पर है
कृपया पधारें
आज की ब्लॉग बुलेटिन विश्व होम्योपैथी दिवस और डॉ.सैम्यूल हानेमान - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत सुंदर रचना.
LATEST POSTसपना और तुम
बहुत बढ़िया ग़ज़ल....
सुन्दर एवं अर्थपूर्ण शेर..
सादर
अनु
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
नवसम्वत्सर-२०७० की हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
'हजारों दोस्त मिलेंगे सिर्फ कहने को
दुख के दिन में असल रहे कितने'
- यही सच है!
बहुत ही बढ़ियाँ गजल...
:-)
हमने चाहा, भाव संयत रहें मन में,
सहें हम, वे मचल रहे कितने।
हमने चाहा, भाव संयत रहें मन में,
सहें हम, वे मचल रहे कितने।
हमने चाहा, भाव संयत रहें मन में,
सहें हम, वे मचल रहे कितने।
बहुत सही ..
वक्त पर जो साथ दे वही अपना होता है ....
एक गिरगिट ने खुदकुशी कर ली
रंग इन्सां बदल रहे कितने..हर शेर उम्दा ..आनंद आ गया मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
नव संवत्सर की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!!
एक गिरगिट ने खुदकुशी कर ली
रंग इन्सां बदल रहे कितने...वाह..
बहुत ही बढ़िया
सादर
वाह,बहुत खूब
बहुत सुन्दर....बेहतरीन रचना
पधारें "आँसुओं के मोती"
संवेदनशील रचना अभिवयक्ति.....
वर्तमान के सच को व्यक्त करती
सार्थक गजल
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
jyoti-khare.blogspot.in
कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?
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