फिर से करने तुम राज, रामजी कब आओगे?
है पूजित रावण आज, रामजी कब आओगे?
निज कर्मों से सिखलाया, नारी का मान बढ़ाया
लुटती सीता की लाज, रामजी कब आओगे?
हक धोबी को भी बोले, निज मन की गाँठें खोले
अब घुटती है आवाज, रामजी कब आओगे?
भाई का कातिल भाई, रोती कौशल्या माई
है बिखरा हुआ समाज, रामजी कब आओगे?
मन्दोदरी ने समझाया, रावण उसको धमकाया
अब घर घर यही रिवाज, रामजी कब आओगे?
तेरे भरत, लखन जी भ्राता, पर तू सबको अपनाता
संकट में जगत-जहाज, रामजी कब आओगे?
सेवक जब मारुतिनन्दन, नित करे विभीषण वन्दन
फिर से लो सुमन का ताज, रामजी कब आओगे?
है पूजित रावण आज, रामजी कब आओगे?
निज कर्मों से सिखलाया, नारी का मान बढ़ाया
लुटती सीता की लाज, रामजी कब आओगे?
हक धोबी को भी बोले, निज मन की गाँठें खोले
अब घुटती है आवाज, रामजी कब आओगे?
भाई का कातिल भाई, रोती कौशल्या माई
है बिखरा हुआ समाज, रामजी कब आओगे?
मन्दोदरी ने समझाया, रावण उसको धमकाया
अब घर घर यही रिवाज, रामजी कब आओगे?
तेरे भरत, लखन जी भ्राता, पर तू सबको अपनाता
संकट में जगत-जहाज, रामजी कब आओगे?
सेवक जब मारुतिनन्दन, नित करे विभीषण वन्दन
फिर से लो सुमन का ताज, रामजी कब आओगे?
4 comments:
आओ भगवान पुनः पधारो, हम दुखपूरित, हमें तिहारो।
वाह क्या बात है! बहुत सुन्दर!
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रामजी अब जल्दी आएं
बहुत सुन्दर...
पधारें "आँसुओं के मोती"
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