Saturday, June 1, 2013

प्रायः सभी कुदाल

छोटी दुनिया हो गयी, जैसे हो इक टोल।
दूरी आपस की घटी, पर रिश्ते बेमोल।।

क्रांति हुई विज्ञान की, बढ़ा खूब संचार।
आतुर सब एकल बने, टूट रहा परिवार।।

हाथ मिलाते जब सुमन, जतलाते हैं प्यार।
क्या पड़ोस में कल हुआ, बतलाते अखबार।।

कौन आज खुरपी बने, पूछे सुमन सवाल।
जो दिखता है सामने, प्रायः सभी कुदाल।।

तारे सा टिमटिम करे, बनते हैं महताब।
ऐसे भी ज्ञानी सुमन, पढ़ते नहीं किताब।।

6 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच कहा आपने, धरती खोदे चलाये दे रहे हैं।

Jyoti khare said...


कौन आज खुरपी बने, पूछे सुमन सवाल।
जो दिखता है सामने, प्रायः सभी कुदाल।।-----

वाह बहुत खूब प्रस्तुति

आग्रह है पढें,ब्लॉग का अनुसरण करें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in

Shalini kaushik said...

बहुत सार्थक सन्देश देती प्रस्तुति आभार . ''शादी करके फंस गया यार ,...अच्छा खासा था कुंवारा .'' साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

गुड्डोदादी said...

shyamal आशीर्वाद
खुरपी को खोजने चली रख एक तरफ कुदाल| मेरी समझ यही आया आपके सवाल का जवाब

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

क्रांति हुई विज्ञान की, बढ़ा खूब संचार।
आतुर सब एकल बने, टूट रहा परिवार।।

सटीक दोहे ।

कालीपद "प्रसाद" said...

कौन आज खुरपी बने, पूछे सुमन सवाल।
जो दिखता है सामने, प्रायः सभी कुदाल।।--बहुत सार्थक प्रस्तुति
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